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Corona Infection : ऐसे हों अधिकारी तो कैसे नहीं हारेगी महामारी, वाराणसी के डीएम और गाजीपुर के जिलाधिकारी ने किया ठोस पहल

गाजीपुर और वाराणसी के जिलाधिकारी ने असुविधा और अल्पसंसाधन की सूखी क्यारियों को अपनी दूरदृष्टि के फव्वारे से कुछ ऐसा सींचा कि उम्मीदों की बगिया लहलहा गई। भरोसा दिलाते हैं कि जिले में आक्सीजन का पर्याप्त प्रबंध करना उनकी (डीएम की) जिम्मेदारी है। लोग निश्चिंत रहें दहशत में न आएं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 04 May 2021 08:20 AM (IST)Updated: Tue, 04 May 2021 01:42 PM (IST)
Corona Infection : ऐसे हों अधिकारी तो कैसे नहीं हारेगी महामारी, वाराणसी के डीएम और गाजीपुर के जिलाधिकारी ने किया ठोस पहल
वाराणसी के डीएम और गाजीपुर के जिलाधिकारी ने कोरोना संक्रमण लड़ने के कई ठोस पहल किए।

वाराणसी, जेएनएन। सेवा भाव से की गई नौकरी और आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठा लेने का हौसला सबमें कहां होता है? जिनमें होता है, वही नजीर होते हैं। गाजीपुर और वाराणसी के जिलाधिकारी ने असुविधा और अल्पसंसाधन की सूखी क्यारियों को अपनी दूरदृष्टि के फव्वारे से कुछ ऐसा सींचा कि उम्मीदों की बगिया लहलहा गई है। बेड की कमी की बेचैनी, आक्सीजन न मिलने की अकुलाहट के बीच इन दोनों जिम्मेदार अधिकारियों ने कुछ ऐसे ठोस निर्णय लिए, कुछ ऐसी पहल की जो अब सबके लिए नजीर है।

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इस हाहाकारी दौर में जहां बदइंतजामी की खबरें चहुंओर हैं, वहीं गाजीपुर के जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने जिला अस्पताल को सुविधा संपन्न बनवाया। वह कोरोना पीडि़तों की व्यवस्था के लिए खुद जुटे रहते हैं। आक्सीजन व जीवन रक्षक दवाओं की कमी न हो, इसके लिए हर सिलेंडर और कीमती दवा के स्टॉक की खुद निगरानी करते हैं। अपने मोबाइल नंबर को सार्वजनिक किया है और कोरोना प्रभावित लोगों की जरूरतों को सुनकर उसका समाधान करते हैं। कोविड मरीजों के लिए 50 बेड वाला जिला अस्पताल दो अप्रैल से ही 244 बेड के कोविड हास्पिटल के रूप में संचालित हो रहा है। उन्होंने इस अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड को ट्रामा सेंटर में शिफ्ट करने का निर्णय लिया है।

यह व्यवस्था की है कि आक्सीजन की जरूरत होने पर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के पास जाएं, वहां निदान न हो तो सीधे उनके पास आएं। वह आक्सीजन की हर जरूरत पूरी करेंगे। इंटरनेट मीडिया पर अभी गाजीपुर के जिलाधिकारी और एक तीमारदार का आडियो खूब चर्चा में है। किसी नीतेश से डीएम की बातचीत है, जिसमें उन्होंने शिकायत की है कि उनके मरीज को अस्पताल में पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल रहा है। डीएम तत्काल इमरजेंसी में तैनात चिकित्सक से बात कराने को कहते हैं। चिकित्सक को नसीहत देते हैं और खरीखोटी भी सुनाते हैं। भरोसा दिलाते हैं कि जिले में आक्सीजन का पर्याप्त प्रबंध करना उनकी (डीएम की) जिम्मेदारी है। लोग निश्चिंत रहें, दहशत में न आएं। इंटरनेट मीडिया पर डीएम के सद्कार्य को लेकर काफी प्रशंसा हो रही है।

गाजीपुर के अजय गुप्ता ने लिखा है कि डीएम गाजीपुर की संवदेनशीलता को नमन है। वहीं, संजय कुमार राय ने अस्पताल का अपना अनुभव साझा किया है-'आपने जनपद की लाज बचा रखी है। मैंने खुद 10 दिन हास्पिटल के कोरोना वार्ड में रहकर वहां का हाल देखा है। आपने आकर जो किया था, वह काबिले तारीफ है।'वाराणसी के जिलाधिकारी ने भी आक्सीजन की कमी पर विशेष पहल की। कोलकाता के कारोबारी निखिलेश गर्ग का यहां दरेखू में आक्सीजन प्लांट है, जो बंद था।

संचालन का आग्रह किया गया पर वह तैयार नहीं हुए। ऐसे में डीएम ने सख्ती की और दरेखू में कामरूप इंडस्टि्रयल गैसेज लिमिटेड को एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 तथा उत्तर प्रदेश महामारी कोविड-19 की विनियमावली 2020 में प्रदत्त शक्तियों के तहत बाध्यकारी आदेश जारी कर अधिगृहीत कराया। इसके संचालन के लिए 48 घंटे के अंदर निविदा की प्रक्रिया पूरी कराकर अन्नपूर्णा गैसेज एजेंसी को संचालन का जिम्मा सौंपा। बुधवार से यहां से आपूर्ति बहाल हो जाएगी। दरअसल, कोरोना तन के साथ मन को भी मारता है। मन की मजबूती रहे तो वायरस को तन को छोड़कर जाना ही होता है। ऐसे जीवट अफसरों ने वाकई लोगों के मन को मजबूती दी है। इससे ही कोरोना हारेगा।


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