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वाराणसी में सामान्य मरीजों के बीच कोरोना की जांच, मंडलीय अस्पताल-कबीरचौरा में ओपीडी के बाहर सेहत से खिलवाड़

कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में परिसर में एक ओर जहां सामान्य ओपीडी चल रही है तो दूसरी ओर कोविड-19 की जांच की जा रही है। वो भी बिना कोविड गाइडलाइन का पालन किए। ऐसे में यहां कौन सामान्य मरीज है और कौन कोरोना संक्रमित यह समझ पाना बेहद मुश्किल है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 02:16 PM (IST)
वाराणसी में सामान्य मरीजों के बीच कोरोना की जांच, मंडलीय अस्पताल-कबीरचौरा में ओपीडी के बाहर सेहत से खिलवाड़
कबीरचौरा अस्पताल में परिसर में एक ओर जहां सामान्य ओपीडी चल रही है तो दूसरी ओर कोविड-19 की जांच जारी।

वाराणसी, जेएनएन। शासन-प्रशासन लोगों को कोरोना संक्रमण से संभलकर रहने की सलाह दे रहा है। अपील की जा रही है कि दो गज की दूरी, मास्क और हाथ धुलते रहना बेहद जरूरी। जनता को जागरुक करना तो ठीक है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन दिनों खुद लारपवाही की हदें पार कर रहा है। ऐसा लग रहा हैं मानो स्वास्थ्य विभाग को सामान्य मरीजों और कोरोना के मरीजों में कोई फर्क ही नहीं रह गया। जी हां ऐसा ही हो रहा है, कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में।

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परिसर में एक ओर जहां सामान्य ओपीडी चल रही है तो दूसरी ओर कोविड-19 की जांच की जा रही है। वो भी बिना कोविड गाइडलाइन का पालन किए। अस्पताल के गेट नंबर-3 से सटे परिसर के पिछले हिस्से में ओपीडी के लिए नई बिल्डिंग बनाई गई है। इसके ठीक सामने नया रजिस्ट्रेशन काउंटर और उससे सटे दवा का काउंटर। यही पर एक तरफ जहां सामान्य मरीजों का ओपीडी में आना और दवा काउंटर से दवा लेना हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ रजिस्ट्रेशन काउंटर के बाहर कोरोना मरीजों की जांच कराई जा रही है। यहां जांच कराने वाले मरीजों की लंबी कतार भी लग रही है। यह रास्ता भी बेहद संकरा है। यही नहीं जिस रास्ते पर कोरोना मरीज खड़े हो रह रहे हैं, उसी रास्ते से हॉस्पिटल के वार्ड में भर्ती मरीजों और टीबी पेशेंट का भी आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में यहां कौन सामान्य मरीज है और कौन कोरोना संक्रमित, यह समझ पाना बेहद मुश्किल है।

खुद ही बढ़ा रहे है कोरोना

बनारस में सिर्फ यही एक सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है जहां मरीजों के लिए ओपीडी की सुविधा सामान्य ढंग से संचालित है। बीएचयू हॉस्पिटल में जहां दो दिन पहले ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई है, वहीं डीडीयू जिला अस्पताल पिछले साल से ही कोविड हॉस्पिटल घोषित हो चुका है। ऐसे में अब मंडलीय अस्पताल ही बनारस व आस-पास के जनपदवासियों का सहारा है। मगर जिस तरह से यहां लापरवाही बरती जा रही है, उससे इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अपने मर्ज को ठीक कराने के लिए अस्पताल आने वाले मरीज कोरोना संक्रमण की गंभीर बीमारी अपने घर लेकर जा रहे हैं। इससे न सिर्फ वे खुद का जीवन खतरे में डाल रहे है, बल्कि अपने घर वालों और अन्य लोगों को भी संक्रमण बांट रहे हैं।

गंभीर समस्या होने पर ही जाए अस्पताल

डाक्टरों का कहना है कि वर्तमान समय बहुत ही खतरनाक है। कोरोना कहां और किस जगह है यह कह पाना मुश्किल है। ऐसे में अस्पताल आने वाले मरीज खुद की सुरक्षा स्वयं करें। बहुत ज्यादा तकलीफ होने पर ही अस्पताल आएं। यदि हर छोटी-छोटी समस्या को लेकर अस्पताल पहुंचेंगे तो कही ऐसा न हो कि छोटे मर्ज को ठीक कराने के चक्कर में बड़ा मर्ज घर लेकर आ जाए।

आठ डाक्टर व लैब के पांच कर्मी भी कोरोना पाजिटिव हो गए

हास्पिटल के आठ डाक्टर व लैब के पांच कर्मी भी कोरोना पाजिटिव हो गए हैं। ऐसे में सभी मरीजों की जांच लैब में नहीं की जा सकती। इसलिए दवा वितरण काउंटर के बगल में ही पंजीयन काउंटर के पास जांच की जा रही है।

- डा. ओपी तिवारी, प्रभारी एसआइसी-मंडलीय हास्पिटल, कबीरचौरा।


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