गंवई सियासत में क्वारंटाइन हुआ कोरोना, पंचायत चुनाव में वोट बैंक प्रभावित होने का सता रहा डर
पूर्वांचल में गंवई सियासत में क्वारंटाइन हुआ कोरोना पंचायत चुनाव में वोट बैंक प्रभावित होने का सता डर रहा है।
आजमगढ़, जेएण्नएन। बाहर से आने वालों की सूचना देने और होम क्वारंटाइन किए गए लोगों की निगरानी के लिए गांव से लेकर वार्ड स्तर पर समितियां तो बना दी गईं लेकिन प्रवासियों के बारे में किसी तरह की सूचना देने की जहमत अधिकतर लोग नहीं उठा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गंवई सियासत इसके पीछे बड़ी वजह बन रही है। प्रधान हों या फिर मैदान में उतरने की तैयारी करने वाले, कोई इस पचड़े में नहीं पडऩा चाहता।
चुनाव की तैयारी करने वाले दोनों गुटों को चिंता है कि अगर किसी के बारे में प्रशासन को सूचना दी गई तो वह नाराज हो सकता है और उसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। समितियों में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया गया है लेकिन उनके सामने समस्या यह आ रही है कि वह भी गांव के लोगों की सूचना पर ही ज्यादा निर्भर हैं। उदाहरण के तौर पर ठेकमा ब्लाक के मैनपुर गांव को लिया जा सकता है। यहां 11 मई से लगातार लोगों के आने का क्रम बना हुआ है। चार दिन में दो दर्जन से ज्यादा प्रवासी गांव में ट्रकों से पहुंच चुके हैं। प्रशासन के पास इनका कोई रिकार्ड भी नहीं है। सभी अपने घरों में रह रहे हैं और दिन भर घूमते रहते हैं। ग्राम प्रधान आगामी चुनावों को देखते हुए अपने वोट बैंक को सहेजने में लगे हुए हैं। उधर प्रशासनिक गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गांव के कुछ लोग सूचना देना चाह रहे हैं लेकिन फोन नहीं उठने के कारण कोई फायदा नहीं हो रहा है। शुक्रवार को दो बार पीएचसी प्रभारी को सूचना देने के लिए फोन किया गया लेकिन रिसीव नहीं हुआ।