यूपी-बिहार की सीमा पर हर साल होता टकराव, बलिया जिले के दोनों तरफ के किसान करते अपना दावा
4200 एकड़ में फैले जिले के हांसनगर दियारा क्षेत्र में यूपी-बिहार के किसानों के बीच का सीमा विवाद 70 वर्षों से उलझ़ा है। यूपी के किसान फरियाद करते रहे लेकिन अधिकारी या जनप्रतिनिधि प्रकरण पर गंभीर नहीं हुए। नतीजतन हर साल बोआई और कटाई के समय बंदूकें गरजतीं हैं।
जागरण संवाददाता, बलिया। 4200 एकड़ में फैले जिले के हांसनगर दियारा क्षेत्र में यूपी-बिहार के किसानों के बीच का सीमा विवाद 70 वर्षों से उलझ़ा है। यूपी के किसान फरियाद करते रहे, लेकिन अधिकारी या जनप्रतिनिधि प्रकरण पर गंभीर नहीं हुए। नतीजतन हर साल बोआई और कटाई के समय बंदूकें गरजतीं हैं। किसान अपनी भूमि के लिए मर मिटने पर अमादा हो जाते हैं। टकराव के बाद प्रशासन 10 दिनों के लिए जरूर सक्रिय होता है, लेकिन वह स्थाई समाधान नहीं है। यूपी-बिहार दोनों तरफ की सरकारें मिलकर पहल करें तो हजारों किसानों का भला हो सकता है, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई। अभी रबी की बोआई का सीजन चल रहा है और एक बार फिर दोनों तरफ के किसान बोआई को लेकर आमने-सामने हैं।
यह है विवाद का कारण
यूपी-बिहार सीमा विवाद को सुलझाने के गठित सीएल त्रिवेदी आयोग ने 1971 में जमीन की नापी कर पिलर गाड़ दिया था। वह पिलर अन्य क्षेत्रों में दिखाई देते हैं, हांसनगर दियारा क्षेत्र के यूपी के गांव भड़सर, दुबहड़, धरनीपुर, अगरौली, हल्दी, बिहारीपुर, बाबू बेल, गायघाट, पचरुखिया, नारायणपुर, मीनापुर, दूबे छपरा, उदयीछपरा के डेरा और बिहार क्षेत्र के गांव नैनीजोर पूर्वी, पश्चिमी, छोटकी नैनीजोर, सपही, नीमेज, धर्मागतपुर आदि इलाके से गायब हो गए। इस वजह से सीमांकन मिट गया।
तीन किसानों की हो चुकी है हत्या
सीमा विवाद में हांसनगर दियारा के किसान विजयशंकर राय, गिरजा शंकर राय की 1978 में तब हत्या कर दी गई जब वे अपने खेत की जोताई करा रहे थे। वर्ष 2003 में किसान विजय तिवारी की हत्या फसल की कटाई के समय कर दी गई। कई बार ऐसा भी हुआ कि खेत की बोआई यूपी के किसान किए लेकिन फसल पकने पर बिहार के किसान उसे काट ले गए।
दोनों तरफ से 1200 किसानों ने दाखिल किया है वाद
यूपी सीमा के किसान ताड़केश्वर राय, रामजी राय, पप्पू राय, अनिल राय आदि ने बताया कि विवाद में यूपी-बिहार दोनों तरफ 1200 किसानों ने न्यायालय में वाद दाखिल किया है। यूपी के किसानों की अधिकांश जमीन बिहार सीमा में पड़ती है। इसके कारण उन्हें पटना के उच्च न्यायालय में भी जाना पड़ता है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी मामले लंबित हैं। मंडलायुक्त आजमगढ़ के यहां भी शिकायत लंबित है।
दोनों राज्यों में अभिलेख का पेच फंसा है
दोनों राज्यों में अभिलेख का पेच फंसा है। जिलाधिकारी के माध्यम से पूर्व में कई पत्र लिखे गए, उसके बाद बिहार में अपने यहां के किसानों के अभिलेख भेजे थे। जिसे यूपी के किसान गलत बता रहे थे। नए अभिलेख की मांग यहां के किसानों से भी की गई थी, लेकिन इसे बिहार के किसान नहीं मानते हैं। यह मामला न्यायालय में भी विचाराधीन है। प्रकरण में कोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी।