बलिया में आक्सीजन सिलेंडर के लिए सीएमएस ने मांगा पुलिस बल, एसपी ने किया मना
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने पुलिस बल की मांग की है लेकिन पुलिस अधीक्षक ने पंचायत चुनाव का हवाला देकर मना कर दिया। वहीं जिला अस्पताल में हालत यह है कि जिसे ऑक्सीजन सिलेंडर मिल जा रहा है वह उसे आसानी से लौटा नहीं रहा।
बलिया, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच आक्सीजन की कमी के कारण मरीजों की जान सांसत पड़ रही है। इसके कारण जिला अस्पताल में प्रतिदिन मौतें हो रही हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर घमासान मचा है। मारामारी की स्थिति है। इसको लेकर जिला अस्पताल में हंगामा भी होता रहता है। इस स्थिति से बचने के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने पुलिस बल की मांग की है लेकिन पुलिस अधीक्षक ने पंचायत चुनाव का हवाला देकर मना कर दिया। वहीं जिला अस्पताल में हालत यह है कि जिसे ऑक्सीजन सिलेंडर मिल जा रहा है वह उसे आसानी से लौटा नहीं रहा। इससे तनाव की स्थिति बनी हुई है।
जवाब दे रहा लोगों का धैर्य
बांसडीह के शिवपुर की रहने वाली भंवरी देवी (55) का ऑक्सीजन लेवल कम होने पर गुरुवार की सुबह परिजन उन्हें जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। काफी देर तक ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था नहीं होने से उनका धैर्य जवाब दे गया। लोग सीएमएस कार्यालय में पहुंचकर हंगामा करने लगे। इस दौरान मरीज की हालत बिगड़ती गई। बाद में प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस भी पहुंची। तब तक परिजन मरीज को लेकर किसी निजी अस्पताल चले गए। कोरोना काल में यह स्थिति आए दिन बन रही है।
जिसे सिलेंडर मिल रहा है, वह खत्म होने तक उस पर कब्जा जमाए रखे हैं
कई मरीज चिकित्सक की सलाह के अनुसार आक्सीजन नहीं ले रहे हैं, जिसे सिलेंडर मिल रहा है, वह खत्म होने तक उस पर कब्जा जमाए रखे हैं। एक मरीज के साथ कई लोगों के अस्पताल में आने से समस्या होती है।
अस्पताल में ओपीडी सेवा बंद, मरीज परेशान
सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सेवा एक पखवारे से बंद है, इससे कोरोना संक्रमण के साथ अन्य रोगों से पीड़ित परेशान हैं। बुखार, पेट दर्द व सीने के दर्द सहित कई तरह के रोगी नीम-हकीमों के यहां जाने को विवश हैं।कोरोना वायरस के टीकाकरण व जांच के लिए सभी अस्पतालों की ओपीडी सेवा ठप हो गई हैं। टोला नेका राय निवासी ताड़क नाथ सिंह, बैरिया निवासी रवींद्र नाथ सिंह, भीखा छपरा निवासी अश्विनी सिंह, दोकटी निवासी अशोक कुमार सिंह सहित दर्जनों लोगों की शिकायत है कि ओपीडी सेवा ठप होने से गरीब परेशान है। सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी गरीबों का शोषण कर रहे हैं। कोई मरे या जिये इससे इनको कोई मतलब नहीं है। जिन सरकारी अस्पतालों पर कोरोना की जांच व टीकाकरण हो रहा है वहां तो बात समझ में आती है लेकिन जहां कोरोना संबंधित कोई इलाज नहीं हो रहा है। उन अस्पतालों में भी ताला लटका दिया गया है, जो समझ से परे है। लोगों ने जिलाधिकारी से आग्रह किया है कि जहां कोरोना से संबंधित कार्य नहीं हो रहा है उन अस्पतालों की ओपीडी सेवा बहाल कराई जाए।