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अभी थके नहीं मानसूनी बादल, मौसम विज्ञानियों के दावे से इतर ग्रह नक्षत्र दे रहे दूसरे ही संकेत

रिमझिम फुहारों के बीच मौसम विभाग भले ही दावा करे कि बारिश का मौसम विदा की बेला में आ रहा है लेकिन पंचांगों में वर्षा का योग अभी पूरे पुरुषोत्तम मास में है। आश्विन मास में यह अधिमास 16 अक्टूबर तक है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 07:10 AM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 09:54 AM (IST)
अभी थके नहीं मानसूनी बादल, मौसम विज्ञानियों के दावे से इतर ग्रह नक्षत्र दे रहे दूसरे ही संकेत
बारिश का मौसम विदा की बेला में है लेकिन पंचांगों में वर्षा का योग पूरे पुरुषोत्तम मास में है।

वाराणसी [प्रमोद यादव]। रिमझिम फुहारों के बीच मौसम विभाग भले ही दावा करे कि बारिश का मौसम विदा की बेला में आ रहा है लेकिन पंचांगों में वर्षा का योग अभी पूरे पुरुषोत्तम मास में है। आश्विन मास में यह अधिमास 16 अक्टूबर तक है। इसके बाद तक बारिश के नक्षत्र हैैं और इसमें अंतिम स्वाति का आरंभ ही 24 अक्टूबर से हो रहा है। इसकी गवाही ऋषिकेश, महाबीर और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विश्व प्रसिद्ध पंचांग दे रहे हैैं। इनमें अभी खंड वृष्टि के साथ सामान्य वृष्टि दर्शाई गई है।

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वास्तव में भारतीय ज्योतिष शास्त्र एक भरा-पूरा विज्ञान है जो ग्रह-नक्षत्रों की गणना पर आधारित है। इसमें जीव जगत से लेकर संपूर्ण सृष्टि और वृष्टि तक का आकलन किया जाता है।

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर कार्यपालक समिति के पूर्व सदस्य ख्यातिलब्ध ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ऋतु चक्र के प्रवर्तक भगवान सूर्य माने जाते हैैं। छह ऋतुओं में वर्षा ऋतु भारत के लिए प्रमुख मानी जाती है। वर्षा ऋतु की शुरूआत भगवान सूर्यदेव के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश के साथ शुरू होती है। अंग्रेजी तिथि के अनुसार प्राय: 21-22 जून को किसी भी समय भगवान भास्कर इस नक्षत्र में प्रवेश करते हैैं और वर्षारंभ होता है और स्वाति नक्षत्र पर्यंत चलता है। इस दौरान वे कुल दस वर्षा नक्षत्रों से गुजरते हैैं।

इस साल आद्रा नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश 22 जून को दिन में 7.11 बजे हुआ था। वर्तमान में उत्तरा फाल्गुनी में सूर्य का प्रवेश 13-14 सितंबर की रात 12.51 बजे हुआ और वे 27 सितंबर को दोपहर 3.35 बजे हस्त नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। वहीं 11 अक्टूबर की भोर 04.05 बजे उनका चित्रा (चिरइया) नक्षत्र में प्रवेश होगा और 24 अक्टूबर को दिन में 10.34 बजे स्वाति नक्षत्र में जाएंगे।

इनमें हस्त्र (हथिया) नक्षत्र का अपना विशिष्ट महत्व है। प्राचीन कृषि मनीषियों ने इस नक्षत्र के बारे में कहा भी है-'हथिया के बरसले से माई के परसले स अर्थात हस्त नक्षत्र की बरसात धरती माता को उसी तरह तृप्त कर देती है जैसे माता अपने बेटे को स्नेहपूर्वक भोजन करा कर संतोष देती है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार वर्तमान में उत्तरा फाल्गुनी सूर्य नक्षत्र चल रहा है। सूर्य व चंद्रमा का स्त्री योग अर्थात स्त्री संज्ञक नक्षत्र में युति है और जला नाड़ी चल रही है। ग्रह स्थितियां भी सामान्य वृष्टि सूचक बन रही हैैं। इसलिए 27 सितंबर तक सामान्य वृष्टि का योग है। इसके बाद भी हस्त नक्षत्र में सूर्य का गमन हो रहा है। सूर्य चंद्रमा का योग क्रम से स्त्री एवं पुरुष नक्षत्र पर होगा और अमृत नाड़ी होगी जिसका अधिपति चंद्रमा है। ग्रहों की स्थिति भी इसके अनुकूल है, अत: 10 अक्टूबर तक वृष्टि का योग रहेगा। इसके बाद चित्रा के सूर्य से और अन्य ग्रह स्थितियों के प्रभाव से वातावरण सामान्य हो जाएगा, तथापि यत्र-तत्र खंड एवं अल्प वृष्टि का योग बना रहेगा।


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