स्वच्छता सर्वेक्षण : सिर्फ वाराणसी नगर निगम की नहीं, जनपद के सभी विभागों की परीक्षा
सर्वेक्षण स्वच्छता को लेकर अब तक यही माना जाता है कि यह परीक्षा सिर्फ नगर निगम की है जबकि पूछे के गए सवालों को देखें तो इसमें कई विभाग भी जिम्मेदार हैं। सीवर ओवरफ्लो पेयजल लीकेज खराब सड़कों ने को लेकर भी नंबर कटे हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : दुनिया की सबसे बड़ा राष्ट्रीय स्तर का सर्वेक्षण स्वच्छता है। इसको लेकर अब तक यही माना जाता है कि यह परीक्षा सिर्फ नगर निगम की है जबकि पूछे के गए सवालों को देखें तो इसमें कई विभाग भी जिम्मेदार हैं। सीवर ओवरफ्लो, पेयजल लीकेज, खराब सड़कों ने को लेकर भी नंबर कटे हैं। वहीं, ठोस व तरल कचरा प्रबंधन को लेकर नगर निगम व जलकल विभाग के अफसर भी वक्त पर नहीं चेते हैं।
यही वजह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 की परीक्षा की तैयारी में की देरी हो गई। तत्कालीन नगर आयुक्त गौरांग राठी ने कार्यभार संभालने के साथ ही दावा किया था कि घर-घर कूड़ा उठान के लिए निजी कंपनी से अनुबंध जल्द ही हो जाएंगे लेकिन कंपनी को पूरे शहर में कार्य करने काफी वक्त लग गया। फरवरी 2021 में कंपनी ने पूरे शहर में कचरा उठान शुरू किया। वहीं, अब तक हर घर से गीला व सूखा कचरा उठान नहीं हो पा रहा है। कचरा प्रबंधन को लेकर जन-जागरूकता में भी कमी रही। सर्वाधिक नुकसान जलकल व जल निगम की उदासीनता से हुई। सीवेज प्रबंधन में शहर पीछे रह गया। वरुणापार इलाके में अब भी नालों में घरों के शौचालयों का सीवेज बहता है। अब तक सिर्फ 23 हजार 400 घरों के शौचालयों का कनेक्शन नई सीवर लाइन में हो सकता है जबकि कुल 50 हजार 332 घरों के शौचालयों का कनेक्शन करना था। ऐसे ही पुराने शहर के विस्तारित इलाके मंडुआडीह, लहरतारा, फुलवरिया, कैंटोमेंट आदि इलाका में भी नालों में सीवेज बहता है। शाही नाले के जीर्णोद्धार कार्य में देरी के कारण पक्के महाल से लेकर कई घनी आबादी में सीवेर ओवरफ्लो की शिकायत अधिक हो रही है। वहीं, नई पेयजल पाइप लाइन के अब तक जनोपयोगी नहीं होने से भी पुरानी पेयजल पाइप लाइन पर निर्भरता लीकेज का कारण बनी हुई है। इसके अलावा शिकायतों के निस्तारण में जलकल विभाग के अफसरों की उदासीनता दंड का अधिकारी बनाता है। नगर निगम समेत पीडब्ल्यूडी, वाराणसी विकास प्राधिकरण आदि विभागों की खराब सड़कों ने स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम को बेहतर नहीं होने दिया। कुंड व तालाब के साथ पार्कों का जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण कार्य तो हो रहा है लेकिन इसकी गति इतनी धीमी है कि आपेक्षित परिणाम तक पहुंचना संभव नहीं हो रहा।