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स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान : वाराणसी के हर घर जानता नहीं सर्वेक्षण, कैसे मिलेंगे स्वच्छता के नंबर

सफाई के बाबत बनारस में भी लोग संजीदा हुए हैं। कचरा फेंकना होता है तो डस्टबिन की ओर उनकी नजर जाती है। पान की पीक को लेकर भी गंदगी कम हुई है लेकिन बात स्वच्छता सर्वेक्षण की हो रही है तो इसको लेकर जन जागरूकता का घोर अभाव है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 09:10 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 09:10 AM (IST)
स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान : वाराणसी के हर घर जानता नहीं सर्वेक्षण, कैसे मिलेंगे स्वच्छता के नंबर
वाराणसी के हर घर जानता नहीं सर्वेक्षण

जागरण संवाददाता, वाराणसी। स्वच्छता मिशन को लेकर जनता जागरूक है। सफाई के बाबत बनारस में भी लोग संजीदा हुए हैं। कचरा फेंकना होता है तो डस्टबिन की ओर उनकी नजर जाती है। पान की पीक को लेकर भी गंदगी कम हुई है लेकिन बात स्वच्छता सर्वेक्षण की हो रही है तो इसको लेकर जन जागरूकता का घोर अभाव है। उन्हें यह नहीं पता की सूखा व गीला कचरा अलग करने से विश्व की सबसे बड़ी प्रतियोगिता में उनके शहर को वह सम्मान मिल सकता है जो बीते पांच वर्षों से इंदौर शहर को मिल रहा है।

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ऐसा नहीं है कि इस दिशा में नगर निगम की ओर से प्रयास नहीं किए जा रहे। बीते पांच वर्षों में चार करोड़ से अधिक खर्च हो गए। इसके लिए चार संस्थाओं का चयन किया गया था जिन्हें लोगों को कचरा प्रबंधन के गुर बताना था। संस्थाओं ने अपना काम ईमानदारी से नहीं किया। इवेंट के भुगतान को लेकर मीडिया में फोटो आदि प्रकाशित कराकर अपना उल्लू सीधा कर लिया। इसकी निगरानी भी ठीक से नहीं हुई। संस्थाओं में नगर निगम के पूर्व पार्षद भी जुड़े रहे। ऐसे में संस्थाओं के भुगतान को लेकर कोई बाधा भी नहीं आई। नगर निगम ने स्वच्छता दूत भी बनाए। इसमें शहर के मानिंद लोगों को जोड़ा लेकिन यह कवायद सिर्फ उतनी भर हुई जितना कि स्वच्छ भारत मिशन के निर्देशों का अनुपालन करने का कोरम पूरा हो सके। स्वच्छता दूत बने मानिंद लोगों के साथ न कभी बैठकें हुईं और न ही सर्वेक्षण जैसे मिशन में बेहतर प्रदर्शन को लेकर मंत्रणा की गई। उपेक्षित से महसूस कर रहे मानिंदों का मन मसोस कर रह गया जब उनकी नजरों में सर्वेक्षण का परिणाम आया। फिलहाल, जन जागरूकता के नाम पर नगर निगम की कूड़ा उठान की गाडिय़ों में बजने वाले गीत के अलावा कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है। दो संस्थाओं का नए सिरे से चयन जरूर हुआ है लेकिन उनका वैन जनजागरूकता करते कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।

सिटीजन फीडबैक में मिले 1288 अंक

इस छह हजार के पूर्णांक में पहला बिंदु सिटीजन वायस था जिसका पूर्णांक 1800 था। इसमें वाराणसी शहर को 1288.45 अंक मिले। फीडबैक के लिए टेलीफोन, काल सेंटर से काल कर, शहरी विकास व आवासन मंत्रालय के टोल फ्री नंबर 1969, स्वच्छता एप व गूगल डाक्स आदि माध्यमों का इस्तेमाल किया गया।

जनता व पार्षदों से बातचीत

स्वच्छता के प्रति आम जनमानस का सचेत न होना व डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन में कंपनी के कर्मचारियों में कमी व शिथिलता है। कार्य संतोषजनक नहीं है।

-राजू बाबू पूर्व महामंत्री रामलीला समिति हुकुलगंज

देखा गया है कि जब सफाई कर्मचारी डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन कर के चले जाते हैं या गलियों में सफाई हो जाती है तो लोग घरों से कूड़ा लाकर सार्वजनिक स्थलों पर फेंक देते हैं।

-दिनेश कुमार दीपक प्रबंधक एसएन पब्लिक स्कूल ग्रुप

कचरा प्रबंधन को लेकर आम आदमी को जागरूक करना होगा। इसके लिए नगर निगम को मानक के अनुरूप सुविधाएं प्रदान करनी होगी और उसके उपयोग को बताना होगा।

- बृजेशचंद्र चौरसिया, पार्षद

स्वच्छता के मोर्चे पर नगर निगम व जलकल विभाग की उदासीनता सर्वेक्षण में भारी पड़ी है। गंदगी को लेकर शिकायत पर शिकायत करते रहिए लेकिन जिम्मेदार अफसर सुनते नहीं।

- प्रीति चौबे, पार्षद


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