नगर आयुक्त गौरांग राठी ने पदभार ग्रहण करने के साथ ही दिखे एक्शन मोड में, सफाई अभियान पर दिया जोर
नगर आयुक्त गौरांग राठी ने गुरुवार को पदभार ग्रहण करने के साथ ही एक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने अपर नगर आयुक्त अजय कुमार सिंह समेत विभिन्न अफसरों के साथ बैठक की।
वाराणसी, जेएनएन। मुख्य विकास अधिकारी के पद को सुशोभित करने के बाद युवा आइएएस अफसर गौरांग राठी को नगर आयुक्त पद की बड़ी जिम्मेदारी शासन ने सौंपी है। दर्शन-पूजन कर गुरुवार को उन्होंने पदभार ग्रहण किया। पत्रकारों से प्राथमिकता को साझा करते हुए कहा कि स्वच्छ काशी हमारे कार्य का पहला एजेंडा है जिसके मद्देनजर हो रहे स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 बड़ी चुनौती भी है।
इसके लिए जितना नगर निगम प्रशासन जवाबदेह है तो उतना ही जनता भी। सभी को इस मुहिम से जुडऩा होगा तभी स्वच्छता सर्वेक्षण में बनारस अव्वल होगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल जो योजना बनी है उस हिसाब से छठ पर्व से पहले गंगा घाटों पर जमा मिट्टी साफ कर दिया जाएगा। वर्तमान में मिट्टी सफाई के लिए विभिन्न घाटों पर कुल 64 पंप लगाए गए हैं जिसकी संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। ऐसे ही नगर में सीवर ओवरफ्लो व जलजमाव की बड़ी समस्या है। सीवर ओवरफ्लो समस्या को दूर करने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है। दीपावली बाद क्रियान्वयन होगा। प्रत्येक दिन दो वार्डों में जलकल की सीवर सफाई से जुड़ी टीम उतार दी जाएगी। सीवर लाइन की मुकम्मल सफाई कर समस्या का निस्तारण होगा। ऐसे ही दीपावली के मद्देनजर नगर में विशेष सफाई अभियान चलाया जा रहा है।
कार्यकारिणी गठन को लेकर नगर आयुक्त से गुहार
नगर निगम की कार्यकारिणी गठन को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। एक ओर जहां कार्यकारिणी के बचे सदस्य गठन को लेकर दबाव बनाने में लगे हैं तो वहीं दूसरा धड़ा बिना गठन के सीधे मिनी सदन में पुनरीक्षित बजट प्रस्ताव गठित करने पर लगा है।
इसी क्रम में गुरुवार को पार्षद राजेश यादव चल्लू, पार्षद अजीत सिंह आदि ने नगर आयुक्त गौरांग राठी से मुलाकात की। अवगत कराया कि नगर निगम अधिनियम की धारा 147 के तहत पुनरीक्षित बजट सितंबर तक कार्यकारिणी समिति से पास हो जानी चाहिए। अक्टूबर तक निगम से अंगिकार हो जानी चाहिए लेकिन अभी तक सदस्यों के कार्यकारिणी सदस्यों के अधिकार का हनन हो रहा है। चूंकि जून में छह सदस्यों को लॉटरी द्वारा बाहर निकाल दिया गया है। अब तक कार्यकारिणी का चुनाव हो जाना चाहिए था। चुनाव न होने से कार्यकारिणी में अब तक पुनरीक्षित बजट न आ सका जो गलत है। नगर निगम अधिनियम की धारा 538 में साफ उल्लेख है कि किसी भी चूक के कारण राज्य सरकार जब चाहे निगम को भंग कर सकता है। नगर निगम नियमावली में धारा 7 छह में अधिकार है कि नगर आयुक्त निगम में हो रहे गलत कार्यों की जानकारी शासन को कराए व महापौर को पत्र लिखकर कार्यकारिणी का चुनाव कराएं।
पहले सीधे पेश हुआ बजट प्रस्ताव
वहीं पुनरीक्षित बजट पेश करने को लेकर महापौर मृदुला जायसवाल का दो टूक कहना है। बीते सदन की कार्यवाही का हवाला देते हुए साफ कहना है कि पहले भी पुनरीक्षित बजट प्रस्ताव सीधे सदन में पेश हुआ तो इस बार भी ऐसा ही होगा। इसमें कार्यकारिणी का गठन कोई बाधा नहीं है। उन्होंने कार्यकारिणी गठन का भी भरोसा दिया लेकिन कहना था कि पहले ही बजट प्रस्ताव में विलंब हो चुका है, इसलिए पूरा फोकस उसी पर है।