मंगलवार मध्य रात्रि प्रभु यीशु के दर्शन के साथ शुरू होगा क्रिसमस पर्व, तीन दिवसीय क्रिसमस मेला 25 से
ईसाई धर्म के सबसे बड़े त्योहार क्रिसमस की तैयारियां जोर-शोर से पूरी की जा रही हैं।
वाराणसी, जेएनएन। ईसाई धर्म के सबसे बड़े त्योहार क्रिसमस की तैयारियां जोर-शोर से पूरी की जा रही हैं। 24 दिसंबर की मध्य रात्रि से ही क्रिसमस पर्व शुरू हो जाएगा। इस पावन बेला पर मसीही समाज के लोग गिरजाघरों में मौजूद रहेंगे। ऐसा विश्वास है कि प्रभु यीशु ने ईश्वर होते हुए भी मध्य रात्रि में मानव रूप धारण किया था इसलिए प्रभु के आगमन के समय मध्य रात्रि को पूजा-विधि (मिस्सा बलिदान) संपन्न होगी। यह जानकारी छावनी क्षेत्र स्थित बिशप हाउस में रविवार को आयोजित प्रेसवार्ता में वाराणसी धर्मप्रांत के बिशप डा. यूजीन जोसेफ ने दी। कहा प्रभु यीशु के जन्म के प्रतीक के रूप में विशेष महिमा गान एवं जयघोष के साथ ही गिरजा का घंटा भी बजाय जाएगा।
प्लास्टिक मुक्त समाज का संकल्प
डा. जोसेफ ने बताया कि 'नो प्लास्टिक' अभियान को सफल बनाने के लिए वाराणसी धर्मप्रांत ने काटन के एक लाख थैले बांटने का निश्चय किया है। इस पर सशक्त तरीके से प्लास्टिक मुक्त समाज के संदेश को उकेरा गया है। स्कूल-कालेजों, सार्वजनिक स्थलों के अलावा संस्थाओं में थैले बांटकर जागरूकता फैलाई जाएगी।
मनाई जाएगी वाराणसी धर्मप्रांत की स्वर्ण जयंती
वाराणसी धर्मप्रांत इस वर्ष अपने 50वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। स्वर्ण जयंती समारोह का शुभारंभ नवंबर में हुआ था, जो अगले वर्ष अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान विविध आयोजन किए जाएंगे। इस वर्ष का थीम 'शांति व एकता' है।
सद्भाव का प्रतीक है मेला
तीन दिवसीय क्रिसमस मेले का आगाज बुधवार को होगा। डा. जोसेफ ने बताया कि महागिरजा सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है। यहां मेले में प्रतिवर्ष शहर के सभी धर्म व संप्रदाय के लोग आते हैं और मिलजुल कर क्रिसमस की खुशियां मनाते हैं।
दो जनवरी को समापन
25 दिसंबर से शुरू हो रहे क्रिसमस समारोह का समापन दो जनवरी को डीरेका स्थित सेंट जॉन्स स्कूल में आयोजित दिव्यांग दिवस के साथ होगा। इस बार स्वर्ण जयंती समारोह के तहत सांस्कृतिक समारोह में दिव्यांग बच्चों की विशेष प्रस्तुति भी होगी।