वाराणसी के ईएसआइसी अस्पताल में बाल शल्य सेवा भी, पीडियाट्रिक सर्जरी की ओपीडी सेवा सप्ताह में छह दिन
कर्मचारी राज्य बीमा निगम यानी ईएसआइसी के पांडेयपुर स्थित अस्पताल में बाल शल्य सेवा भी शुरू की गई है। इससे अब बच्चों का भी आपरेशन आसान हो जाएगा। फिलहाल आपरेशन की सेवा सप्ताह में एक दिन शुरू की गई है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। कर्मचारी राज्य बीमा निगम यानी ईएसआइसी के पांडेयपुर स्थित अस्पताल में बाल शल्य सेवा भी शुरू की गई है। इससे अब बच्चों का भी आपरेशन आसान हो जाएगा। फिलहाल आपरेशन की सेवा सप्ताह में एक दिन शुरू की गई है। वहीं इसकी ओपीडी सेवा सप्ताह में छह दिन की गई है। इसके लिए निगम ने विशेषज्ञ चिकित्सक यहां पर मुहैया कराया है।
वैसे तो यहां पर ईएसआइसी का पहले से ही अस्पताल है, लेकिन उसकी स्थिति बहुत ही दयनीय थी। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इस अस्पताल पूरी तरह से कायाकल्प कर दिया है। साथ ही अलग से सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक भी बनाया गया है। धीरे-धीरे इस अस्पताल में तमाम सुविधाएं बढ़ाई जा रही है। कैंसर, किडनी, सांस, गैस्ट्रो सहित लगभग सभी रोगों का उपचार भी हो रहा है। इसी कड़ी में बाल शल्य की सेवा शुरू की गई है। ईएसआइसी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. अभिलाष वीबी बताते हैं कि बाल रोग विभाग की ओपीडी पहले से ही संचालित हो रही थी। पिछले माह से अब बादल शल्य यानी पीडियाट्रिक सर्जरी की भी सेवा शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि सोमवार से शनिवार तक यह सेवा मरीजों को दी जा रही है। इसमें से गुरुवार को एक दिन आपरेशन का दिन सुनिश्चित किया गया है। डा. अभिलाष ने बताया कि इसके साथ ही अस्पताल में छह बेड का नीकू व 20 बेड का मुख्य आइसीयू भी संचालित किया जा रहा है।
18 हजार से अधिक मरीज ओपीडी में आए अगस्त माह में
01 हजार से अधिक मरीज किए गए थे भर्ती
08 सौ से अधिक मरीज आए इमरजेंसी वार्ड में
41 हजार से अधिक जांच यहां की लैब में की गई
100 से अधिक आपरेशन किया गया अस्पताल में
जीवन शैली में सुधार लाकर बीमारियों से दूर रहें महिलाएं : इंडियन मेनोपाज सोसायटी और वाराणसी मेनोपाज सोसायटी की ओर से नदेसर स्थित होटल सभागार में तीन दिवसीय 26वें राष्ट्रीय कांफ्रेंस का आगाज शुक्रवार को हुआ। पहले दिन आयोजित कार्यशाला में ''''यूरो-गायनोकोलाजी इश्यू इन मिड लाइफ'''', ''''प्रिवेंटिव आंकोलाजी'''' व ''''फेमिनिन रिजूवनेशन'''' विषय पर देशभर के डाक्टरों व छात्रों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए। वहीं कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए मेयर मृदुला जायसवाल ने कहा कि रजोनिवृत्ति के समय महिलाओं को ढेर सारे चुनौतीपूर्ण बदलाव से गुजरना पड़ता है। इसके लिए यह जरूरी है कि 35 वर्ष से अधिक उम्र की सभी महिलाएं अपने जीवन शैली में सुधार लाकर इस चुनौती पूर्ण दौर पर नियंत्रण पाएं। इस दौरान डा. समीर त्रिवेदी, डा. किरण पांडेय, डा. संगीता राय, डा. नवनीत मेगन, डा. अखिल सक्सेना, डा. वंदना नरूला आदि ने व्याख्यान दिए।