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गांव के आश्रय स्थलों पर अव्यवस्था, भोजन तो छोडि़ए, प्रशासन ने चारपाई का भी नहीं कराया इंतजाम

वाराणसी में बनाए गए आश्रय स्‍थलों की स्थिति ठीक नहीं है। गांव के आश्रय स्थलों पर अव्यवस्था भोजन तो छोडि़ए प्रशासन ने चारपाई का भी इंतजाम नहीं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 16 May 2020 12:21 AM (IST)Updated: Sat, 16 May 2020 12:02 PM (IST)
गांव के आश्रय स्थलों पर अव्यवस्था, भोजन तो छोडि़ए, प्रशासन ने चारपाई  का भी नहीं कराया इंतजाम
गांव के आश्रय स्थलों पर अव्यवस्था, भोजन तो छोडि़ए, प्रशासन ने चारपाई का भी नहीं कराया इंतजाम

वाराणसी, जेएनएन। दिन का समय है लेकिन अंबा प्राथमिक विद्यालय में ठहरे रमेश की पलकें भारी हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि रात उन्होंने मच्छरों के साथ लुकाछिपी में बिताई है। अधखुली आंखों से झांकते निराशा के भाव के बीच वे कहते हैं कि कोरोना से तो हम लड़ लेंगे लेकिन ऐसी व्यवस्था से नहीं लड़ सकेंगे। रमेश का यह एक वाक्य आश्रय स्थलों का एक्स-रे है। कुछ ऐसे ही दर्द से गुजर रहे हैं दिनेश, जहूर और जाहिद। उन्होंने बताया कि पंखा नहीं होने से रात बितानी मुश्किल है। मच्छर काटते हैं। आंखों में ही रात बीत जाती है।

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पानी नहीं, गंदा है शौचालय 

विकास, अजय और दिलीप ने बताया कि आश्रय स्थल का शौचालय गंदा है। पानी का इंतजाम नहीं होने से सोता के किनारे शौच के लिए हम सभी मजबूर हैं। दीपू ने बताया कि आश्रय स्थल में पानी का इंतजाम नहीं होने से सोता में नहाने जाते हैं।

विकास बताते हैं कि सुबह जब हम लोग शौच के लिए गंगा सोता के किनारे गए तो वहां कुछ लोगों ने आपत्ति जता दी। वहां छोटा सा बवाल भी हुआ। ग्रामीणों ने कहा कि जब स्वच्छता अभियान के तहत घर-घर शौचालय बने हैं तो तुम लोग खुले में शौच क्यों कर रहे हो। इसपर उन्होंने कहा कि वे अंबा प्राथमिक विद्यालय में बने क्वारंटाइन सेंटर (आश्रम स्थल) में ठहरे श्रमिक व परदेस से आए युवा हैं। हो-हल्ला मचा तो बात अंबा के प्रधान व सचिव तक पहुंची लेकिन आश्रय स्थल की व्यवस्था नहीं सुधरी।

घर से मिल रहा भोजन-पानी 

सरकार  आश्रय स्थल में ठहरे हर व्यक्ति के लिए साठ रुपये रोज के हिसाब से खर्च कर रही है। यह बात जब हमने विनीत, गोली, दीपक से कही तो वे जोर से हंसे और बताया कि भोजन, नाश्ता का इंतजाम तो हम लोगों के घर से हो रहा है। इसके लिए सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं दी गई है।

पड़ताल की गई तो मालूम हुआ कि अंबा गांव में बने इस आश्रय स्थल मेंं जिनको क्वारंटाइन किया गया है वे कुकढ़ा गांव के हैं। चूंकि कुकढ़ा गांव में कोई प्राथमिक व माध्यमिक स्कूल नहीं है इसलिए अंबा गांव में आश्रय स्थल बनाया गया। अंबा प्राथमिक विद्यालय में बदइंतजामी की बात परत-दर-परत खुलती गई तो कुकढ़ा गांव के प्रधान व सचिव भी सवालों के दायरे में आए। इसके बाद शुक्रवार की देर शाम तक आश्रय स्थल में बिजली की व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई लेकिन अन्य समस्या जस की तस बनी रही। कमोबेश यही हाल चिरईगांव ब्लॉक के नरायनपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय प्रथम व द्वितीय का भी है।

35 लोगों ने लिया है आश्रय

अंबा आश्रय स्थल में 35 लोग ठहरे हैं। ग्राम प्रधान कुकुढ़ा खुशहाल तिवारी का कहना है कि हैंडपंप की मरम्मत हो गई है। आंधी-तूफान में ध्वस्त हुई बिजली व्यवस्था भी दुरुस्त कर दी गई है। एडीओ पंचायत सुनील कुमार सिंह का कहना है कि डीपीआरओ ने सूचना दी है कि ग्रामीण क्षेत्र में संस्थानिक क्वारंटाइन सेंटर नहीं बनाए गए हैं। केवल उन्हीं प्रवासियों को विद्यालयों में क्वारंटाइन होने देना है जिनके पास रहने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।


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