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कौशल विकास की डीसी रैंकिंग में प्रदेश में चंदौली का पांचवां स्थान, लक्ष्य से अधिक समूहों को दिलाई आजीविका

कौशल विकास के मामले में अतिपिछड़ा जिला प्रदेश में काफी आगे निकल गया है। ऐसे में डीसी (डिप्टी कमिश्नर) रैंकिंग में 75 जिलों में पांचवां स्थान प्राप्त हुआ है। जिले में वित्तीय वर्ष 2020-21 में कौशल विकास मिशन के तहत तमाम कार्य कराए जा रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 08:10 AM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 08:10 AM (IST)
कौशल विकास की डीसी रैंकिंग में प्रदेश में चंदौली का पांचवां स्थान, लक्ष्य से अधिक समूहों को दिलाई आजीविका
जिले में वित्तीय वर्ष 2020-21 में कौशल विकास मिशन के तहत तमाम कार्य कराए जा रहे हैं।

चंदौली, जेएनएन। कौशल विकास के मामले में अतिपिछड़ा जिला प्रदेश में काफी आगे निकल गया है। ऐसे में डीसी (डिप्टी कमिश्नर) रैंकिंग में 75 जिलों में पांचवां स्थान प्राप्त हुआ है। इस उपलब्धि से अधिकारी-कर्मचारी गदगद हैं। स्वयं सहायता समूहों का खाता खुलवाने व वित्तीय गतिविधियों से जोड़ने की वजह से जिला रैंकिंग में आगे पहुंचा है।

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जिले में वित्तीय वर्ष 2020-21 में कौशल विकास मिशन के तहत तमाम कार्य कराए जा रहे हैं। गांवों की गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर उनके लिए स्वरोजगार के अवसर पैदा किए जा रहे हैं। सभी क्षेत्रों में प्रदर्शन के आधार पर जिलों के उपायुक्तों को अंक देकर उनकी रैंकिंग निर्धारित की गई है। इसमें चंदौली 89.17 अंक के साथ प्रदेश में पांचवें स्थान पर है। चंदौली में 2205 के लक्ष्य के सापेक्ष 1274 समहूों का गठन किया गया है। इसी प्रकार 1930 समूहों का खाता खुला। उनकी 35362 बैठकें हुईं। 1689 समूहों को स्टार्ट अप फंड उपलब्ध कराया गया। इसी प्रकार 1669 समूहों को रिवाल्विंग फंड का वितरण हुआ। 1223 को सामुदायिक निवेश निधि प्रदान की गई। 797 समूहों को स्वरोजगार के लिए बैंकों से ऋण उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा 109 ग्राम संगठन गठित किए गए। 216 ग्राम संगठनों को स्टार्ट अप से जोड़ा गया। नौ संकुल स्तरीय संगठनों का गठन किया गया। इसमें लक्ष्य के सापेक्ष जिले की उपलब्धि शत-प्रतिशत है। जिले में 14 संकुल संगठनों को स्टार्ट अप से जोड़ा गया।

लक्ष्य से अधिक समूहों को दिलाई आजीविका

जिले में 7200 समूहों को आजीविका से जोड़ने का लक्ष्य दिया गया था। इसके सापेक्ष 7427 समूहों को आजीविका से जोड़ा गया। महिलाओं को बैंकों से आर्थिक मदद दिलाकर स्वरोजगार से जोड़ने की पहल की गई। ग्रामीण महिलाएं तमाम तरह के छोटे-मोटे उद्योग कर अपनी आजीविका चला रही हैं। इसके अलावा कोटेदार बनकर सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली को कारगर बना रहीं। वहीं बिजली बिल की वसूली, बैंकिंग योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी अपने हाथों में ले ली है।

जिले में साढ़े चार हजार से अधिक समूह

उपायुक्त स्वत: रोजगार एमपी चौबे ने बताया कि डीएम व सीडीओ के कुशल नेतृत्व व सार्वजनिक प्रयास से उपलब्धि हासिल हुई है। जिले में साढ़े चार हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं। महिलाएं तरह-तरह से रोजगार कर आत्मनिर्भर बन रहीं।


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