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पाला और बारिश के चलते फसलों में बीमारी की संभावना, 10 फीसद तक हो सकता है उत्पादन कम

किसानों को सावधानी बरतनी होगी ताकि फसलों को रोगों से बचाकर उत्पादन प्राप्त किया जा सके। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी डा. एनके सिंह कहते हैं बहुत ही सावधानी बरतने की आवश्यकता है। उन्होंने विभिन्न फसलों में उपचार करने और दवा के छिड़काव का परामर्श दिया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 05:02 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 05:02 PM (IST)
पाला और बारिश के चलते फसलों में बीमारी की संभावना, 10 फीसद तक हो सकता है उत्पादन कम
फसलों को रोगों से बचाकर उत्पादन प्राप्त करने की जानकारी कृषि विशेषज्ञों ने दी है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। इस समय हो रही बरसात के कारण तापक्रम काफी कम हो गया है, इसलिए ठंड बढ़ गई है। सापेक्ष आर्द्रता मध्यम एवं औसतन अधिकतम एवं न्यूनतम तापक्रम क्रमशः 15 एवं 05 डिग्री सेंटीग्रेड है। कोहरा-पाला पड़ने की संभावना प्रबल है। साथ ही हो रही बरसात से सब्जियों, लहसुन, प्याज, फल एवं फूलों में बीमारियों के लगने की अत्यधिक संभावना है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति में फसलोत्पादन 10 फीसद कम होने की संभावना बन गई है। अत: ऐसे में किसानों को सावधानी बरतनी होगी ताकि फसलों को रोगों से बचाकर लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन प्राप्त किया जा सके। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ विज्ञानी डा. एनके सिंह कहते हैं बहुत ही सावधानी बरतने की आवश्यकता है। उन्होंने विभिन्न फसलों में उपचार करने और दवा के छिड़काव का परामर्श दिया है।

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गेहूं : यदि गेहूं में नमी की अधिकता से पीलापन दिखाई दे तो सल्फर के एक फीसद घोल का छिड़काव करना लाभप्रद होगा। साथ ही चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए 2,4-डी सोडियम साल्ट 80 फीसद 625 ग्राम प्रति हेक्टेयर दवा को बोआई के 35-40 दिन के अंदर एकसार छिड़काव करें। गेहूं के प्रमुख खरपतवार गेहुंसा और जंगली जई की रोकथाम के लिए क्लैडीनोपोफ 160 ग्राम प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। धूप निकलने पर ओट आने पर पूर्व में बोए गए गेहूं में नाइट्रोजन की शेष मात्रा दें।

तोरिया व सरसो : तोरिया व सरसों की कटाई धूप होने के एक सप्ताह बाद करें।

मटर : इस समय मटर में पाउडरी मिल्डयू रोग के लक्षण दिखने पर घुलनशील गंधक या केराथिन या कार्बेन्डाजिम के दो छिड़काव करना चाहिए। गेरुआ रोग लगने पर जिनेब या ट्राइडेमार्फ या आक्सीकार्बाक्सिन फंफूदनाशी का दो बार छिड़काव करें।

मसूर : मसूर मे पीलापन होने पर सल्फर के एक फीसद घोल का छिड़काव करना लाभप्रद होगा।

आलू : आलू में झुलसा का प्रकोप होने पर रोग के नियंत्रण हेतु बोवेस्टीन या मैन्कोजेब दो ग्राम प्रति लीटर पानी मे घोलकर 10 दिनों के अंतराल पर दो छिड़काव करें।

प्याज व लहुसन : प्याज-लहसुन मे झुलसा का प्रकोप होने पर ब्लाइटाक्स 50 को 0.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।

आम : आम मे पाउडरी मिल्ड्यू का प्रकोप होने पर रोग के नियंत्रण के लिए मंजर निकलने के समय बैविस्टिन या कैराथेन (0.2 प्रतिशत) का पहला छिड़काव करें।

अमरूद : बगीचे में फल मक्खी के वयस्क नर को फंसाने के लिए फेरोमोन ट्रेप लगाने चाहिए।


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