Chamoli Disaster जरूरत पड़ी तो उत्तराखंड में करेंगे एयरलिफ्ट, एनडीआरएफ की चार टीमों को किया गया अलर्ट
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने व ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना का बांध टूटने के कारण मची तबाही का प्रदेश के गंगा किनारे के शहरों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। यहां खतरे की बात नहीं है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की चार टीमों को अलर्ट किया गया है।
वाराणसी, जेएनएन। उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने व ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना का बांध टूटने के कारण मची तबाही का प्रदेश के गंगा किनारे के शहरों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। यहां खतरे की बात नहीं है। स्थानीय स्तर पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की चार टीमों को अलर्ट किया गया है। एनडीआरएफ की 11वीं बटालियन के इंस्पेक्टर नीरज कुमार ने रविवार को यह जानकारी रविवार को यह जानकारी दी।
कहा कि आठ टीमें रिजर्व रखी गई हैं। हालांकि बाढ़ का पानी यहां पहुंचने में तीन दिन लगता है। हालांकि इसका प्रभाव पहले ही कम हो गया है। केंद्रीय जल आयोग के स्थानीय कार्यालय ने भी पानी के स्तर को लेकर अब तक कोई अलर्ट जारी नहीं किया है। 90 जवान राहत और बचाव के अत्याधुनिक संसाधनों के साथ पूरी तरह से तैयार हैं। अगर जरूरत पड़ी तो हम उत्तराखंड में एयरलिफ्ट कर सकते हैं।
उत्तराखंड के हालात को देखते हुए सरकार ने गंगा किनारे के जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए हैं। इंस्पेक्टर ने बताया कि वह अपने कंट्रोल रूम से स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं। काशी के अलावा गोरखपुर और लखनऊ की एनडीआरएफ की टीमों को भी अलर्ट मोड पर रहने के लिये कहा गया है। अगले 72 घंटे तक निरंतर निगरानी करते हुए अतिरिक्त सतर्कता बरती जाएगी। जहां कहीं भी जरूरत पड़ेगी 11 एनडीआरएफ के जवानों को पहुंचने में देरी नहीं लगेगी।
प्रशासन की निगाह उत्तराखंड से आने वाल हर रिपोर्ट पर लगी है
वाराणसी में केंद्रीय जल आयोग के अधिकारी मान रहे हैं कि इसका असर आने तक पूर्वांचल में नदी का प्रवाह मामूली तौर पर बढ़ सकता है। इसके लिए नदी के जलस्तर पर निगरानी रखी जा रही है। जलस्तर का मापन नियमित किया जा रहा है। प्रशासन की निगाह उत्तराखंड से आने वाल हर रिपोर्ट पर लगी हुई है।