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भदोही के कालीन निर्यातक ने दुबई भेजा 1.2 मीट्रिक टन दशहरी आम, व्यवसाय को भी आजमाने लगे हैं उद्यमी

दुबई के एक आयातक ने इसके लिए भदोही के कालीन निर्यातक को 50 लाख का आर्डर दिया है। निर्यातक ने 11 जून को पहली खेप 1.2 मीट्रिक टन माल दुबई भेज दिया जबकि दूसरी खेप 19 जून व तीसरी 26 जून को भेजने की बुकिंग की गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 05:02 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 05:02 PM (IST)
भदोही के कालीन निर्यातक ने दुबई भेजा 1.2 मीट्रिक टन दशहरी आम, व्यवसाय को भी आजमाने लगे हैं उद्यमी
दशहरी आम अब विदेश में भी धूम मचाने को तैयार है।

भदोही, जेएनएन। कालीन उद्योग को ठंडा पड़ते देख उद्यमी अब दूसरा रास्ता तलाशने में जुट गए हैं। देश में अपनी मिठास से दीवाना बनाने वाला दशहरी आम अब विदेश में भी धूम मचाने को तैयार है। दुबई के एक आयातक ने इसके लिए भदोही के कालीन निर्यातक को 50 लाख का आर्डर दिया है। निर्यातक ने 11 जून को पहली खेप 1.2 मीट्रिक टन माल दुबई भेज दिया जबकि दूसरी खेप 19 जून व तीसरी 26 जून को भेजने की बुकिंग की गई है।

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वैश्विक महामारी चलते कालीन व्यवसायियों ने कारोबार में बदलाव किया है। कालीन व्यवसाय प्रभावित होने के कारण निर्यातक अब दूसरे व्यवसाय में भी हाथ आजमाने लगे हैं। गोपीगंज (छतमी) निवासी प्रमुख कालीन निर्यातक साश्वत पांडेय (त्रिवेणी कारपेट) ने इसकी पहल करते हुए शासन द्वारा किसानों के लिए संचालित फार्मर प्रोड्यूसर आर्गनाइजेशन (एफपीओ) के माध्यम से कृषि उत्पादों का निर्यात शुरू किया है। आम के अलावा भविष्य में सूरन, हरी मिर्च सहित अन्य उत्पादों के निर्यात की योजना बनाई है। उनका कहना है कि कालीन व्यवसाय अपनी जगह है लेकिन कृषि क्षेत्र में निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। एफपीओ के माध्यम से न सिर्फ नए व्यवसाय का सृजन किया जा सकता है बल्कि अपने आस-पास के किसानों को लाभान्वित भी कराया जा सकता है।

लंबे समय से बना रहे थे योजना

कोरोना महामारी के कारण कालीन व्यवसाय पिछले डेढ़ साल से प्रभावित है। कृषक परिवार से होने के कारण काफी दिनों से कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने का विचार था। बताया कि इसी बीच एफपीओ के बारे में पता चला। उन्होंने जनवरी में ट्री सागर नामक संस्था का गठन कर व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया। बताया कि दुबई के आयातक ने उन्हें करीब 50 लाख का आर्डर दिया है। ट्रायल के तौर पर पहली खेप में महज 1.2 मिट्रिक टन माल भेजा गया है। इसके लिए वह मीरजापुर, सोनभद्र व बिहार के प्रमुख कृषकों से संपर्क में बने हुए हैं।


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