कैग ने भी माना नगर निगम में हो रहा घोटाला, सितंबर 2019 में आकर कागजात को खंगाल चुकी
नगर निगम के परिवहन विभाग में हुए घोटाले और उसकी प्रारंभिक रिपोर्ट पर भारत की संवैधानिक संस्था सीएजी (कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) ने भी मोहर लगा दी है।
वाराणसी, जेएनएन। नगर निगम के परिवहन विभाग में हुए घोटाले और उसकी प्रारंभिक रिपोर्ट पर भारत की संवैधानिक संस्था सीएजी (कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) ने भी मोहर लगा दी है। वर्ष 2018-19 के रिपोर्ट में सीएजी ने माना है कि परिवहन विभाग में सामानों की खरीद और वाहनों के मरम्मत के नाम पर अनियमितता हुई है। सीधे नगर आयुक्त, लेखाधिकारी और मुख्य नगर लेखा परीक्षक को भेेजे रिपोर्ट में सीएजी ने इस पर रोक लगाने के लिए कहा है। साथ ही पूछा है कि अनियमितताओं पर रोक लगाने के लिए की गई कार्रवाई से अवगत कराएं। इस रिपोर्ट के आने के बाद नगर निगम में हड़कंप मच गया है।
कैग ने तीनों जिम्मेदार अधिकारियों को भेजे रिपोर्ट मेें कहा है कि चेतावनी के बावजूद कठोर कदम नहीं उठाए गए तो केंद्र से मिलने वाली निधियों को रोकने की सिफारिश करने के लिए वो बाध्य होगी। इसे लेकर नगर निगम के अधिकारी सकते में आ गए हैं। कैग ने यह रिपोर्ट केंद्रीय निधियों से मिलने वाली खर्च के आधार पर दी है। इसके जांच के लिए टीम सितंबर 2019 में आई थी। अब रिपोर्ट भेजने के बाद टीम एक बार फिर इसी माह या मार्च में आने वाली है और नगर निगम के अन्य खर्चों से संबंधित कागजात की जांच करेगी। इसके बाद अन्य विभागों में मनमाने खर्च का रहस्योद्घाटन हो सकता है। इससे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के स्टोर और इंजीनियङ्क्षरग विभाग के मामले भी उजागर हो सकते हैं।
कैग के रिपोर्ट मिलने का ही असर है कि नगर आयुक्त गौरांग राठी द्वारा घोटाले की तथ्यात्मक जांच कर रही टीम ने अपने रिपोर्ट के दायरे को और बढ़ा दिया है। यही कारण है कि अपर नगर आयुक्त देवी दयाल वर्मा समिति ने रिपोर्ट तैयार होने के बावजूद नगर आयुक्त को रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
केंद्र से मिलने वाली निधियां
नगर निगम को केंद्र सरकार से कई निधियों में सहयोग मिलता है। इसमें 14वां वित्त, अमृत योजना, हृदय योजना, स्वच्छ भारत मिशन, सांसद निधि और गंगा निधि शामिल है।
कैग की भी रहती है नजर
आर्थिक मामलों से जुड़े हर उस विभाग की जांच कैग करा सकता हैै जिसको केंद्र सरकार मदद करता है। इसी अधिकार के तहत कैग ने नगर निगम के खर्चोें के मद और उसके तरीकों की जांच की है। साथ ही कैग उनके अन्य निधियों के खर्च की भी जांच करता है कि वे अपने धन को किस प्रकार खर्च करते हैं। इसके रिपोर्ट के आधार पर ही केंद्र सरकार संस्थाओं और विभागों को मदद करती है।