Coronavirus के भय से सारनाथ में बौद्ध मंदिर बंद, विदेशी पर्यटकों की आस्था का है बड़ा केंद्र
वज्र विद्या संस्थान के बौद्ध मंदिर में सोमवार से दो माह के लिए आम पर्यटकों सहित बौद्ध तीर्थ यात्रियों के लिए प्रवेश बन्द कर दिया गया है।
वाराणसी, जेएनएन। अन्तराष्ट्रीय पर्यटक स्थल सारनाथ के खजुही गांव में स्थित तिब्बत का एहसास कराने वाले वज्र विद्या संस्थान के बौद्ध मंदिर में सोमवार से दो माह के लिए आम पर्यटकों सहित बौद्ध तीर्थ यात्रियों के लिए प्रवेश बन्द कर दिया गया है। प्रवेश द्वार के मुख्य गेट पर इस आशय का एक सूचना चस्पा कर ताला बंद कर दिया गया है। वाराणसी के सारनाथ में यह पहला बौद्ध मंदिर जहां कोरोना वायरस के भय से ताला बंद किया गया है।
जानकारी के अनुसार तिब्बती कर्ग्यूद सम्प्रदाय का वज्र विद्या संस्थान और बौद्ध मंदिर है। जिसमें लगभग 200 बौद्ध भिक्षु यहां रह कर अध्ययन और अध्यापन का काम करते हैं। इसी मठ में इस सम्प्रदाय के धर्मगुरु करमापा उग्येन थिनले दोरजे भी आकर अध्ययन अध्यापन के साथ पूजा पाठ करते हैं। सोमवार को काफी सख्या में पर्यटक पहुंचे तो वहां पर गेट पर ताला बंद देख एवं सूचना पढ़ कर निराश होकर वापस चले गए।
बौद्ध मंदिर के भिक्षु लावांग दोनदुप ने बताया कि इस मठ में लगभग 200 बौद्ध भिक्षु रह कर अध्ययन करते हैं। इसको ध्यान में रखते हुए वज्र विद्या संस्थान में जब तक कोरोना वायरस रहेगा तब तक विदेशी और भारतीय पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दिया गया है। सारनाथ के खजुही स्थित वज्र विद्या संस्थान के मुख्य गेट पर लगा कोरोना वायरस के चलते पर्यटकों पर रोक हेतु सूचना देखकर लोग मंदिर के बाहर से ही सिर झुकाकर वापस हो जा रहे हैं।
बौद्ध मतावलंबियों का बड़ा केंद्र
सारनाथ भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली होने की वजह से चीन, नेपाल, जापान, कोरिया, थाईलैंड, श्रीलंका आदि देशों के पर्यटकों की आस्था का बड़ा केंद्र है। जबकि इन्हीं देशों में कोरोना का अधिक भय लोगों में बना हुआ है। इसकी वजह से यहां से आने वाले पर्यटकों पर रोक के लिए ही परिसर में धार्मिक गतिविधियों पर विराम दिया गया है।
हजारों श्रीलंकाई पर्यटकों ने अपनी यात्रा पर रोक लगाई
कोरोना वायरस के चलते लगभग 4500 श्रीलंकाई पर्यटकों ने सारनाथ सहित बौद्ध स्थलों की यात्रा निरस्त कर दी है। जिससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों पर काफी असर पड़ा है। श्रीलंका के बौद्ध अनुयायी प्रतिवर्ष लगभग 20 से 25 हजार से अधिक भारत में आकर सारनाथ, बौद्ध गया, कुशीनगर, लुम्बनी, संकस्य बौद्ध स्थलों पर दर्शन पूजन करते हैं। इनके आने से पर्यटन से जुड़े लोगों की रोजी रोटी चलती है। लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के चलते श्रीलंका के ग्रुप लीडर रोहित, प्रियंटकेतु मति, गुण शेखर, भिक्षु धर्म पाल भी श्रीलंकाई बौद्ध अनुयायियों का अधिक से अधिक ग्रुप लेकर आते हैं। बताया कि लगभग 4500 की सख्या में श्रीलंकाई बौद्ध अनुयायियों ने अपनी यात्रा को रद कर दिया है। यहां पर्यटन से जुड़े राज कुमार, पप्पू लाल, आत्मा शर्मा, प्रीतम ने बताया कि कोरोना के चलते श्रीलंकाई पर्यटकों में काफी कमी आयी है।