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बुद्ध अस्थि दर्शन के साथ शुरू हुआ मूल गन्ध कुटी बौद्ध मंदिर का वार्षिकोत्सव, श्रद्धालुओं ने किया अस्थि दर्शन

मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर में भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष के दर्शन के साथ दिन दिवसीय मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर का 88 वां वार्षिकोत्सव शुरू हो गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 05:47 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 05:48 PM (IST)
बुद्ध अस्थि दर्शन के साथ शुरू हुआ मूल गन्ध कुटी बौद्ध मंदिर का वार्षिकोत्सव, श्रद्धालुओं ने किया अस्थि दर्शन
बुद्ध अस्थि दर्शन के साथ शुरू हुआ मूल गन्ध कुटी बौद्ध मंदिर का वार्षिकोत्सव, श्रद्धालुओं ने किया अस्थि दर्शन

वाराणसी, जेएनएन। सारनाथ स्थित महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में रविवार को मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर में भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष के दर्शन के साथ दिन दिवसीय मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर का 88 वां वार्षिकोत्सव शुरू हो गया। इस मौके पर वियतनाम, थाईलैंड, श्रीलंका, कम्बोडिया व हिमालयी क्षेत्र के सैकड़ों आस्‍थावानों और बौद्ध अनुयायियों ने अस्थि अवशेष का दर्शन किया।

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इस दौरान बिजली के रंगीन झालरों, फूल माला व पंचशील झंडों से सजे मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर में सोसाइटी के महासचिव भिक्षु पी. शिवली थेरो व संयुक्त सचिव भिक्षु डॉ. के मेधानकर थेरो के नेतृत्व में सुबह 6.30 बजे से अवशेष दर्शन के लिये विभिन्न देशों के बौद्ध अनुयायियों ने कतारबद्ध होकर दर्शन किया। दर्शन पूजन का क्रम सुबह 10 बजे तक अनवरत चला। अस्थि दर्शन के लिये मन्दिर से गेट तक कतार में लोग खड़े रहे। अस्थि दर्शन के बाद वियतनामी बौद्ध ग्रुप द्वारा अस्थि अवशेष का फोटो चित्र और प्रसाद वितरण किया गया। वहीं भिक्षु पी. शिवली थेरो ने बताया कि अस्थि दर्शन 10, 11 नवम्बर को होगा जबकि 12 नवम्बर को अस्थि  अवशेष शोभायात्रा निकाली जायेगी। इस दौरान सुमित्ता नन्द, भिक्षु नन्द जी मौजूद रहे। 

मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के संस्थापक स्व. अनागरिक धर्मपाल ने अस्थि अवशेष लेने के लिये काफी मेहनत की।इनकी मेहनत को देखते हुए तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर ने धर्मपाल जी को मन्दिर बनाने के आश्वासन पर अस्थि पात्र प्रदान किया। धर्मपाल जी ने सारनाथ में 1928 से 31 तक मन्दिर का निर्माण कराया। उस अस्थि पात्र को मन्दिर के नीचे बने तहखाने में रखा गया है। यह अस्थि अवशेष वर्ष 1913 व 14 में पुरातत्वविद सर जॉन्स मार्शल को तक्षशिला में स्थापित धर्मराजिका स्तूप की खोदाई के दौरान मिला था। इस बुद्ध अस्थि का कार्तिक पूर्णिमा में पूजन का लोगों में काफी महत्व है।

कार्तिक पूर्णिमा पर झालरों व् दीपो से रोशन होगा सारनाथ

कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर महाबोधी सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वाधान में 10 ,11 12 बुद्ध अस्थि दर्शन होगा। इसमें श्रीलंका, वियतनाम, कम्बोडिया, म्यांमार, लाओस, नेपाल, पशिचम बंगाल, थाईलैंड सहित अन्य बौद्ध देशों से लगभग 15 हजार विदेशी बौद्ध अनुयायी आ रहे हैं। मूलगन्ध कुटी बौद्ध मंदिर और सड़क के दोनों तरफ बिजली के रंगीन झालरों व पंचशील झन्डों से सारनाथ क्षेत्र को सजाया गया है।


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