Loksabha Result 2019 : पूर्वांचल में सपा का काफी वोट ट्रांसफर करा ले गई बसपा
मतदान के पहले ही चुनावी पंडित यह आशंका जाहिर कर रहे थे कि इस चुनाव में गठबंधन का फायदा सपा से अधिक बसपा को मिलेगा हुआ भी यही।
वाराणसी [अशोक सिंह]। मतदान के पहले ही चुनावी पंडित यह आशंका जाहिर कर रहे थे कि इस चुनाव में गठबंधन का फायदा सपा से अधिक बसपा को मिलेगा, हुआ भी यही। पूर्वांचल की 12 सीटों के परिप्रेक्ष्य में यदि नतीजों का आकलन करें तो मिलता है कि बसपा जहां शून्य थी, अबकी उसके खाते में चार सीटें आ गई हैं। इन 12 सीटों पर सपा और बसपा ने छह-छह सीटें अपने अपने हिस्से में बांट ली थी। सपा को महज एक सीट पर आजमगढ़ में अखिलेश की जीत के साथ संतोष करना पड़ा है।
गठबंधन के तहत जब सीटों का बंटवारा हो रहा था तभी मायावती ने बेहद रणनीतिक तरीके से सपा को उन सीटों का सौंपा जहां पहले से ही हार तय मानी जा रही थी। मसलन, वाराणसी की सीट सपा के खाते में रही जो भाजपा का गढ़ और खुद पीएम नरेंद्र मोदी की सीट है। सपा अपने हिस्से की वाराणसी सहित राबट्र्सगंज, मीरजापुर, चंदौली और बलिया सीट को हार गई। उधर, बसपा ने अपने खाते की छह सीटों में से चार सीट लालगंज, घोसी, जौनपुर और गाजीपुर को जीतकर गठबंधन में अपनी ताकत को बढ़ा लिया। आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि सपा अपनी सीटों पर भले न बसपा का वोट बैंक पूरी तरह से ट्रांसफर करा पाई लेकिन बसपा ने यह काम बखूबी किया। यही कारण रहा कि सपा बलिया और चंदौली की सीट कांटे की टक्कर देने के बावजूद भी हार गई। राबट्र्सगंज में भाजपा और अपना दल गठबंधन को महागठबंधन की ओर से सपा ने कड़ी टक्कर तो दी लेकिन शिकस्त ही हाथ लगी।
गाजीपुर में सपा की जीत को बड़ा किया बसपा ने
गाजीपुर में विकास की तमाम सौगातों को देने वाले केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को अंतत: हार का मुंह देखना पड़ा। माना जा रहा है कि गठबंधन में बसपा के खाते वाली इस सीट पर उनके उम्मीदवार अफजाल अंसारी की जीत को भी सुनिश्चित और बड़ा करने में सिर्फ और सिर्फ सपा का टोटल वोट ट्रांसफर ही वजह रहा। अंकगणित यह भी बताती है कि यादव मतों की बहुलता का साथ न मिला होता तो बसपा यह सीट निकाल नहीं पाती।
पूर्वांचल में ही सधा जातीय समीकरण
समूचे उत्तर प्रदेश में देखा जाए तो सपा-बसपा के गठबंधन को भले ही फेल करार दिया जा रहा हो लेकिन उनका तय किया गया अंकगणित पूर्वांचल में ही कायदे से सधा हुआ दिखा। पहले से सपा के खाते की न सिर्फ एकमात्र सीट आजमगढ़ में अखिलेश यादव की जीत को उनके पिता मुलायम सिंह यादव से बड़ी हुई बल्कि गठबंधन के हिस्से में चार और सीटें आ गई हैं।
मछलीशहर में भाजपा के संघर्ष का कारण बनी सुभासपा
पूर्वांचल में अपने प्रभाव की बात कहने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर को इस चुनाव ने करारा झटका दिया है। उनके दल से उतरे प्रत्याशी कुछ वोट तो काट पाए लेकिन कहीं भी जीत-हार का सबब नहीं बन सके। मछलीशहर में मामूली अंतर का कारण सुभासपा रही। सुभासपा उम्मीदवार को वहां 11 हजार से अधिक मत प्राप्त हुए। लेकिन, यह भी तय है कि अन्य सीटों पर सुभासपा सिर्फ और सिर्फ भाजपा के लिए वोटकटवा ही बन पाई। हालांकि, घोसी और बलिया में सुभासपा के उम्मीदवारों ने अपने दल की क्षमता के हिसाब से अच्छा वोट पाया। घोसी में जहां सुभासपा को करीब 40 हजार तो बलिया में 35 हजार से अधिक वोट मिले। चंदौली में भाजपा की बेहद कम मतों से अंतर की वजह भी सुभासपा को मानें तो उसके खाते में आए करीब 19 हजार वोट को गिन सकते हैं।
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