बसपा ने घाटों पर कर्मकांड करने वाले तीर्थ पुरोहितों पर शुल्क प्रविधान पर उठाया सवाल, वाराणसी नगर निगम ने दिया करारा जवाब
बनारस आए राज्यसभा सांसद व बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा ने डेढ़ साल पहले गड़े मुद्दे को उखाड़ा और प्रदेश सरकार को सवालों से घेरा तो गुरुवार को नगर निगम में हलचल मच गई। हालांकि नगर निगम प्रशासन ने संयमित रहते हुए उखाड़े गए मुद्दे पर करारा जवाब दिया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। मिशन यूपी 2022 को लेकर जहां भाजपा उल्लेखनीय विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच पहुंचने का काम शुरू कर दिया है तो वहीं, विपक्षी भी उसे घेरने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब तक कांग्रेस व सपा सरकार को घेरने में अग्रणी नजर आ रही थी तो अब बसपा ने भी मोर्चा खोल दिया है। दो दिन पहले बनारस आए राज्यसभा सांसद व बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा ने डेढ़ साल पहले गड़े मुद्दे को उखाड़ा और प्रदेश सरकार को सवालों से घेरा तो गुरुवार को नगर निगम में हलचल मच गई।
हालांकि, नगर निगम प्रशासन ने संयमित रहते हुए उखाड़े गए मुद्दे पर करारा जवाब दिया। शासन से पूछ सवालों के क्रम में जवाब देते हुए कहा कि मसला पूरी तरह राजनीतिक है। जिस मुद्दे पर सवाल किए जा रहे हैं वह डेढ़ साल पुराना है। एक अवकाश प्राप्त राजस्व अफसर की ओर से एक प्रस्ताव बनाया गया था जिसको लेकर आमजन से आपत्ति व सुझाव मांगे गए थे जिसे अब मुद्दा बनाया जा रहा है। नगर आयुक्त प्रणय सिंह ने स्पष्ट किया कि घाटों पर कर्मकांड करने वाले किसी भी तीर्थ-पुरोहित से न तो पहले किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जा रहा था और न ही अब लिया जा रहा है। सुझाव व आपत्ति के आधार पर प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है। बता दें कि नगर निगम में तैनात अवकाश प्राप्त तहसीलदार की ओर से यह प्रस्ताव लाया गया था। प्रस्ताव प्रकाश के अगले दिन ही जनता की आपत्ति को देखते हुए मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने पहल की। नगर निगम के अफसरों से बैठक कर पूरी जानकारी ली। इसके बाद जिलाधिकारी की ओर से स्पष्टीकरण जारी किया गया कि नगर निगम की ओर से ऐसी कोई उपविधि नहीं बनाई गई है जिसमें घाटों पर तीर्थ-पुरोहितों से शुल्क लिया जाएगा।