इंग्लैंड के रॉयल लिवरपूल हॉस्पिटल की ब्रेस्ट सर्जन प्रो. गीता शेट्टी ने साझा की स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियां
कुछ वर्ष पहले तक महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी सर्वाइकल कैंसर थी। जागरूकता अभियान चलाकर सरकार काफी हद तक इसमें कमी लाने में कामयाब हुई।
वाराणसी, जेएनएन। कुछ वर्ष पहले तक महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी सर्वाइकल कैंसर थी। जागरूकता अभियान चलाकर सरकार काफी हद तक इसमें कमी लाने में कामयाब हुई। मगर अब ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर, सर्वाइकल कैंसर से भी बड़ी समस्या बनकर उभर रही है, जिसकी सबसे बड़ी वजह इसके प्रति जानकारी का अभाव व लापरवाही है। यह बातें इंग्लैंड के लिवरपूल हॉस्पिटल की ब्रेस्ट सर्जन डा. गीता शेट्टी ने दैनिक जागरण से साझा की। वह एनेस्थीसिया विभाग-आइएमएस, बीएचयू की ओर से क्रिटिकल केयर पर आधारित तीन दिवसीय कार्यशाला में बतौर प्रशिक्षक शिरकत करने पहुंची हैं।
डा. गीता के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों के ब्रेस्ट कैंसर के जो केस आते हैं, वह एडवांस स्टेज तक पहुंच चुके होते हैं। शहरों में कुछ जागरूकता जरूरी आई है, लेकिन बीमारी को देखते हुए यह नाकाफी साबित हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल करीब 21 लाख महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आती हैं। भारत में हर 28वीं महिला को किसी न किसी रूप में ब्रेस्ट कैंसर होता है। दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि इसे लेकर जागरूकता का घोर अभाव है। बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि अकेला ब्रेस्ट कैंसर कुल 12 प्रकार का होता है।
इससे निजात पाने के लिए जरूरी है कि गांव-गांव में जागरूकता अभियान चले। आंगनबाड़ी कार्यकत्र्री, आशा बहू, एएनएम को भी अभियान से जोड़ा जाए और घर-घर में महिलाओं को ब्रेस्ट इग्जामिन करने के तरीके बताए जाएं। इग्जामिन करने से ही कई तरह के कैंसर का पता शुरुआती चरण में चल जाता है। ब्रेस्ट कैंसर का पता यदि शुरुआत में चलने पर इसका संपूर्ण इलाज संभव है।