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दोनों मासूम संक्रमित लेकिन मां की ममता है कि मानती ही नहीं, एक पल भी नहीं हो रही दूर

कमिश्नर के आदेश पर शुक्रवार को कोरोना संक्रमित दोनों बच्चों को लेवल-2 बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है। साथ रहने पर मां को भी संक्रमित होने का खतरा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 10:45 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 10:45 AM (IST)
दोनों मासूम संक्रमित लेकिन मां की ममता है कि मानती ही नहीं, एक पल भी नहीं हो रही दूर
दोनों मासूम संक्रमित लेकिन मां की ममता है कि मानती ही नहीं, एक पल भी नहीं हो रही दूर

वाराणसी, जेएनएन। जहां एक ओर कोरोना संक्रमित होने पर अपने भी साथ छोड़ दे रहे हैं तो वहीं, मां की ममता अपने कलेजे के टुकड़े को पल भर के लिए भी दूर होने नहीं दे रही है। डाक्टर बार-बार अगाह कर रहे हैं कि बच्चों से दूर रहो, वरना आपको भी संक्रमण हो जाएगा लेकिन मां की ममता है कि मानती नहीं। कहती है कि 'डाक्टर साहेब! कइसे छोड़ देई अपने दुन्नौ लाल के, दूर जाए क बात सुनके कलेजा फट जात हव'।

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डर है कि साथ रहने पर मां भी संक्रमित न हो जाए

डाक्टरों की बड़ी चिंता यह है कि दोनों मासूम तो संक्रमित हैं लेकिन अब तक महिला को कोरोना ने संक्रमित नहीं किया है। डर है कि साथ रहने पर वह भी संक्रमित हो जाए। हालांकि बचाव के लिए महिला को जरूरी उपाय बताए गए हैं। बावजूद इसके अतिरिक्त बचाव के लिए कमिश्नर दीपक अग्रवाल के आदेश पर शुक्रवार को कोविड-19 के लेवल-वन के पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल से दोनों बच्चों को लेवल-2 बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है जहां पर बच्चों के डाक्टर भी हैं और वेंटिलेटर की सुविधा भी। मुहम्मदाबाद जिला गाजीपुर निवासी महिला के दोनों बच्चों में एक डेढ़ वर्ष तो दूसरा तीन वर्ष का है।

महिला का दावा- गांव वालों ने बेवजह उसे फंसा दिया है

तीन दिन पूर्व दोनों बच्चों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई तो गाजीपुर से लाकर उन्हें वाराणसी के पं. दीनदयाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गरीब परिवार का पेट पालने के लिए बच्चों का पिता मुंबई में मजदूरी करता है। लॉकडाउन के बाद वह विभिन्न साधनों से वह घर पहुंचा। ग्राम प्रधान ने उसे गांव के स्कूल में क्वारंटाइन करा दिया। महिला का कहना है कि इस दौरान पति एक दिन के लिए भी घर नहीं आए, फिर भी दोनों बच्चे संक्रमित बताए जा रहे हैं। महिला का दावा है कि दोनों बच्चों को पहले भी बुखार आता था। गांव वालों ने बेवजह उसे फंसा दिया है। महिला को बीएचयू अस्पताल भी रास नहीं आ रहा है। कहना है कि जैसी सुविधा पं. दीनदयाल अस्पताल में मिल रही थी वह बीएचयू के अस्पताल में नहीं मिल रही है।

11 माह के मासूम संग मां भर्ती

वहीं, एक अन्य केस में वाराणसी के सिसवां गांव निवासी एक महिला भी पं. दीनदयाल अस्पताल में भर्ती है। दोनों कोरोना से संक्रमित हैं। इनको भी बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तीन दिन पूर्व मां व 11 माह के मासूम की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। दोनों मुंबई से वाराणसी आए थे।


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