सरकारी खाद्यान्न वितरण में अधिकारी मालामाल, गोदाम से माल खरीदी कोटेदारों के मत्थे
सोनभद्र में खाद्यान्न एवं केरोसिन तेल अब लाने के लिए दुकानदारों को ही अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। ऐसे में ग्राहकों को दुकानदारों का कोपभाजन होना पड़ रहा है।
सोनभद्र, जेएनएन। मरता क्या न करता यह कहावत पूरी तरह से कोटेदारों पर चरितार्थ हो रही है। खाद्यान्न एवं केरोसिन तेल अब लाने के लिए दुकानदारों को ही अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है। ऐसे में ग्राहकों को मनमाने तरीके से दुकानदारों का कोप भाजन होना पड़ता है। आए दिन ग्राहकों व कोटेदारों में मूल्य एवं यूनिट में कमी को लेकर झड़प आम बात हो गई है। दुकानदारों की माने तो सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अब कोई भी सामान नाप तौल कर नहीं दिया जाता जिससे सभी परेशान है।
इस बात की जानकारी विभाग में नीचे से ऊपर के अधिकारियों को भलीभांति पता है। जब अधिकारी ही बिचौलियों की मिलीभगत से ऐसे कारनामों को अंजाम देने में लगे हैं तो दुकानदार ग्राहकों से मनमानी तरीके से खाद्यान्न व तेल का मूल्य बढ़ा कर कालाबाजारी कर रहा है। जिससे गरीब उपभोक्ताओं को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है।
आधा किलो छिजन व बोरी में भी कटौती : विभाग द्वारा पूर्व में प्रति बोरी आधा किलो छिजन के साथ बोरी का वजन भी कम कर खाद्यान्न का मूल्य लिया जाता था। तब नाप-तौल में होने वाली कमी की भरपाई हो जाती थी जो अब गोदाम इंचार्ज ऐसा नहीं करते हैं जिससे कोटेदारों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।
खाद्यान्न व केरोसिन तेल दुकानों तक पहुंचाने पर रोक : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पूर्व में विभाग द्वारा खाद्यान्न व केरोसिन तेल दुकान-दुकान पहुंचाने की व्यवस्था थी जिससे कोटेदारों को उठान का अतिरिक्त भार नहीं देना पड़ता था। अब डिपो से बिना माप के अंदाज पर मिलने वाला केरोसिन तेल कोटेदार को अपने खर्च पर लाना पड़ता है। इसी तरह गेहूं व चावल की बोरी को भी नहीं तौला जाता है। मिट्टी तेल तो कार्डधारकों को प्रति लीटर 8 से 10 रुपये ज्यादा लिया जाता है जिसका कारण अतिरिक्त ढुलाई व उतराई मूल्य होना बताया जाता है।