सर सुंदरलाल अस्पताल शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी से डिस्टचार्ज किए गए ब्लैक फंगस के मरीज, शिफ्ट होगा इमरजेंसी वार्ड
पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक (एसएसबी) से अब ब्लैक फंगस के सभी मरीजों को डिस्टचार्ज या दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। ताकि इसमें इसरजेंसी वार्ड को शिफ्ट किया जा सके।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल शताब्दी सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक (एसएसबी) से अब ब्लैक फंगस के सभी मरीजों को डिस्टचार्ज या दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। ताकि इसमें इसरजेंसी वार्ड को शिफ्ट किया जा सके। कारण कि कायाकल्प योजना के तहत इमरजेंसी वार्ड भवन को हाईटेक बनाया जाना है। प्रशासन की ओर से इंटरनली अरजेंमेंट के लिए निर्देश दिया गया है। ताकि एक सुव्यवस्थित तरीके से इमरजेंसी वार्ड की सारी मशीनें पहले एसएसबी शिफ्ट कर व्यवस्थित की जाएं। तैयारी पूरी होने के बाद एसएसबी में इमरजेंसी वार्ड को शुरू किया जा सके। इसके अलावा अन्य कई विभागों की ओपीडी भी इधर-उधर शिफ्ट करने की योजना बनाई गई है।
मालूम हो कि कायाकल्प योजना के तहत एसएस अस्पताल में वार्ड व ओपीडी एरिया को दुरुस्त किया जा रहा है। इसके तहत पिछले माह ही जनरल मेडिसिन की ओपीडी को प्रथम तल पर शिफ्ट किया गया। जल्द ही प्रथम तल से गठिया यूनिट भी दूसरे जगह स्थानांतरित की जाएगी। वहीं यूरोलाजी विभाग की सुविधाओं को पहले ही एसएसबी में शिफ्ट किया जा चुका है। जल्द ही इंडोक्राइनोलाजी व नेफ्रोलाजी विभाग की ओपीडी भी शिफ्ट की जाएगी। एसएस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता ने बतााय कि किसी भी फंक्शनल अस्पताल में जीर्णोद्धार का कार्य बहुत ही मुश्किल होता है। कारण ही तमाम उपकरण, मशीनें, बेड आदि को सुव्यवस्थित ढंग से शिफ्ट किया जाता है। मामूली से चूक करोड़ों रुपये की मशीन को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा संबंधित विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को विश्वास में भी लेना पड़ता है। यही कारण है कि इमरजेंसी वार्ड को एसएसबी में शिफ्ट करने की देरी हो रही है। उन्होंने बताया कि शिफ्ट करने का मतबल है कि जब तक एसएसबी में इमरजेंसी सेवा शत प्रतिशत व्यवस्थित नहीं हो जाती तब तक पुराने भवन में इमरजेंसी सेवा को बंद नहीं कर सकते।
मालूम हो कि कोरोना की पहली एवं दूसरी लहर में एसएसबी को पूर्वांचल का थ्री लेवल का अस्पताल बनाया गया था। अगर ये ब्लाक पहले से तैयार नहीं रहता तो स्थिति बहुत ही भयावह हो जाती है। खैर कोरोना की दूसरी लहर थमने के साथ ही ब्लैक फंगस का कहर शुरू हो गया। इसके मरीजों के उपचार के लिए आनन-फानन में टीबी एंड चेस्ट विभाग के वार्ड को मई के दूसरे सप्ताह में पोस्ट कोविड वार्ड बनाया गया। मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही थी की यह वार्ड तुरंत भर गया। इसके बाद प्रशासन ने पास ही स्थित आयुर्वेद भवन के ही चकर व सुश्रुत नाम से बने तीन और वार्ड में उपचार शुरू किया गया। अब और अधिक मरीज बढ़ते तो दूसरे वार्ड में भी व्यवस्था करनी पड़ती। हालांकि गनीमत रही कि इसी बीच एसएसबी में भर्ती कोरोना के मरीजों की संख्या भी कम हो गई। इसके बाद ब्लैक फंगस के मरीजों को आयुर्वेद भवन से एसएसबी में शिफ्ट किया गया। अब यहां से भी ब्लैक फंगस के मरीजों को खाली करने का निर्देश दे दिया गया है। हालांकि गुरुवार को मात्र आठ मरीज ही यहां पर बचे थे, जिन्हें संबंधित विभाग या डीडीयू में शिफ्ट किया जाएं।