जन्मदिन के मौके पर सितारवादक पं. रविशंकर 'गूगल आर्ट्स एंड कल्चर' के डिजिटल दुनिया में शामिल
यूनेस्को की क्रिएसिटव सिटी नेटवर्क में संगीत के क्षेत्र में शामिल वाराणसी के संगीत की गूंज अब और भी वैश्विक हो गई है। ताजा कड़ी में गूगल की ओर से आर्ट्स एंड कल्चर विशेष पेज में वाराणसी में जन्मे विश्वविख्यात संगीतकार पं. रविशंकर को शामिल किया गया है।
वाराणसी, जेएनएन। यूनेस्को की क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में संगीत के क्षेत्र में शामिल वाराणसी के संगीत की गूंज अब और भी वैश्विक हो गई है। ताजा कड़ी में गूगल की ओर से 'आर्ट्स एंड कल्चर' विशेष पेज में वाराणसी में जन्मे विश्वविख्यात संगीतकार पं. रविशंकर को शामिल किया गया है। गूगल की ओर से संगीत और कला साधकों की वैश्विक डिजिटल डिक्शनरी के तौर पर रविशंकर को उनके जन्मदिन पर शामिल किए जाने की जानकारी उनकी बेटी अनुष्का शंकर ने अपने आधिकारिक इंटरनेट मीडिया पर जारी की है।
अनुष्का शंकर ने लिखा है कि - 'मेरे पिताजी को जन्मदिन की बधाई! मेरे पिता ने एक बार कहा था, "संगीत में जादू तभी होता है जब कलाकार इसे प्यार और आनंद के साथ पेश करता है - और सुनने वाले इसे उसी भावना से प्राप्त करते हैं।" मेरे पिता 20 वीं शताब्दी के सबसे महान संगीतकारों में से एक, मेरे गुरु के रूप में अवर्णनीय थे। बड़े होकर मैंने देखा कि वह कितने महान संगीतकारों के लिए प्रेरणा थे। आज, जब हम उनका 101 वां जन्मदिन मना रहे हैं तो मैं गूगल आर्ट्स एंड कल्चर के साथ अपनी साझेदारी का खुलासा करने पर प्रसन्न हूं। रवि शंकर की दुनिया में प्रवेश करने के साथ ही जानें कि कैसे उन्होंने भारतीय संगीत को अपनी रचनात्मक सहयोग और अपनी अविश्वसनीय विरासत के बारे में बताया है।'
संबंधिक लिंक : https://artsandculture.google.com/exhibit/ravi-shankar-taking-indian-music-to-the-world/cQLSDGrEqoaIIA" rel="nofollow
इस बाबत उन्होंने सुकन्या शंकर रवि शंकर गूगल आर्ट्स एंड कल्चर के विशेष डिजिटल दुनिया के बारे में जानकारी दी है। इस विशेष पेज पर रविशंकर के वाराणसी में जन्म लेने से उनके वैश्विक स्तर के जनस्वीकार्य संगीतकार के तौर पर उनकी पूरी वायोग्राफी को शामिल किया गया है।
गूगल की ओर से जारी इस अनोखे पेज पर पं. रविशंकर और उनके संगीत के प्रदर्शन पर आधारित आयोजनों पर ऑडियो, वीडियो और टेक्स्ट के जरिए पन्नों को चित्ताकर्षक बनाया गया है। इसके साथ ही उनके जीवन पर आधारित विशेष क्षणों के बारे में भी वीडियो फुटेज और उसके बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें उनको मिले ग्रैमी अवार्ड के अतिरिक्त उनके वैश्विक सांगीतिक दौरे को भी विशेष स्थान दिया गया है। इस डिजिटल पेज पर उनके जीवन से जुड़ी विभिन्न तस्वीरों का संकलन भी साझा किया गया है।
पं. रविशंकर का काशी में जन्म
7 अप्रैल 1920 को वाराणसी में जन्मे पं. रविशंकर की मृत्यु 11 दिसंबर 2012 को हुई थी। उनके निधन के बाद उनकी अस्थियां वाराणसी में प्रवाहित करने के लिए उनके बेटियों सहित परिजन भी वाराणसी आए थे। रविशंकर अपने परिवार के साथ अमेरिका में बस गए और काशी से निकली संगीत की गंगा को उन्होंने विश्व स्तर पर संगीत साधना से भारतीय संगीत परंपरा का सस्वर गान कर वैश्विक प्रतिमा प्रदान किया था। उनके बाद उनकी बेटियों अनुष्का शंकर और नोरा जोंस ने भी संगीत की दुनिया में रविशंकर का नाम रोशन किया है।