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पनीर व खाद्य तेल के वेस्ट से बनेगा बॉयो प्लास्टिक, बीएचयू के दुग्ध विज्ञान व खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग की पहल

बीएचयू के दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के लैब में वेस्ट टू हेल्थ प्रणाली के तहत बॉयो प्लास्टिक के निर्माण पर काम शुरू हो चुका है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 12:25 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 12:25 PM (IST)
पनीर व खाद्य तेल के वेस्ट से बनेगा बॉयो प्लास्टिक, बीएचयू के दुग्ध विज्ञान व खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग की पहल
पनीर व खाद्य तेल के वेस्ट से बनेगा बॉयो प्लास्टिक, बीएचयू के दुग्ध विज्ञान व खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग की पहल

वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। एक प्लास्टिक, अनगिनत नुकसान। नष्ट न होने के कारण संतुलित पर्यावरण के लिए भी जहर समान। अब इस घातक प्लास्टिक से मुक्ति की युक्ति मिल चुकी है। बीएचयू के दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के लैब में वेस्ट टू हेल्थ प्रणाली के तहत बॉयो प्लास्टिक के निर्माण पर काम शुरू हो चुका है। सुगर रिफायनरी वेस्ट पर पॉलीमर बनाने के बाद अब डेयरी उद्योग से निकलने वाले पनीर के पानी और इस्तेमाल खाद्य तेल से निर्मित पॉलीमर से बायो प्लास्टिक तैयार होगा।

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प्रोटीन व एसिड का कमाल

खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डीसी राय के मुताबिक पनीर के पानी में मिलने वाले प्रोटीन को प्रोसेसिंग कर पाउडर और इस्तेमाल खाद्य तेल के फैटी एसिड से पॉलीमर तैयार होगा। इसके बाद आइआइपी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग, मुंबई) के साथ मिलकर इंडस्ट्रियल ट्रायल किया जाएगा। आइआइपी के साथ एमओयू (मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग) भी हो चुका है। प्रो. राय के मुताबिक इस पर विभाग में कई शोध हो चुके हैं, जो कि जनरल ऑफ बॉयोमास एवं बायो एनर्जी जैसे अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित है। बॉयो प्लास्टिक बनाने की यह प्रणाली कारगर व किफायती है।

ट्रायल के बाद शुरू होगा उत्पादन

आइआइपी के निदेशक प्रो. तनवीर आलम के मुताबिक पनीर के वेस्ट पानी में उच्च क्षमता वाला केसीन प्रोटीन मिलता है, जिससे बायो डिग्रेडेबल पॉलीमर मेटेरियल तैयार किया जा सकता है, जो आसानी से उपलब्ध है और इको फ्रेंडली भी होता है। ट्रायल के दौरान अपेक्षानुरूप परिणाम आने पर उद्योगों को प्रोटोटाइप तकनीक व प्रशिक्षण देकर बड़े स्तर पर उत्पादन का काम शुरू होगा।

छह-सात माह में विघटन

बीएचयू में इस तकनीक पर शोध करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अभिषेक दत्त त्रिपाठी ने बताया कि बॉयो डिग्रेडेबल प्लास्टिक पॉली हाइड्रॉक्सी एल्केनोइट्स (पीएचए) नामक पॉलीमर से बनता है। पीएचए के भार के आधार पर इसको तीन भाग में बांटते हैं। इनमें से एक पीएचबी यानी पाली हाइड्रोक्सी ब्यूटिरिक संपूर्ण विघटित पॉलीमर है, जिसका निर्माण बैक्टीरिया द्वारा होता है। डा. त्रिपाठी के अनुसार इस तरह के पॉलीमर से निॢमत पैकेजिंग प्रोडक्ट को कृषि, खाद्य, कॉस्मेटिक एवं फार्मा समेत अन्य उद्योग के इस्तेमाल में ला सकते हैं।

डेयरी उद्योग से पनीर का पानी

इंडस्ट्रियल ट्रायल की सफलता के बाद यह तकनीक बॉयोटेक कंपनियों को सौंप दी जाएगी। इसके बाद कंपनियां डेयरी उद्योगों से पनीर का पानी और होटलों व घरों से उपयोग किया हुआ खाद्य तेल लेकर बॉयो प्लास्टिक तैयार करेगी।


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