शहद में चीन के शुगर सीरप की मिलावट का पता लगाएगा बीएचयू, अप्रैल माह में आ जाएगी मशीन
अब भारत के शहद बाजार को भी चीन की नजर लग गई है। सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के कई नामी ब्रांड वाले 77 फीसद शहद के नमूनों में मिलावट पाई गई है। इस मिलावट का बीएचयू पर्दाफाश करेगा।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। अब भारत के शहद बाजार को भी चीन की नजर लग गई है। सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के कई नामी ब्रांड वाले 77 फीसद शहद के नमूनों में मिलावट पाई गई है। शहद में चीन द्वारा की जा रही शुगर सीरप की इस मिलावट का बीएचयू पर्दाफाश करेगा। इसके लिए एक हाई-रिजोल्यूशन न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) मशीन स्थापित की जा रही है। यह भारत की पहली ऐसी मशीन होगी जो कि शहद में चीनी मिलावटखोरी को रोकने और लोगों को धोखाधड़ी से बचाने का काम करेगी। अभी यह मशीन इक्का-दुक्का संस्थानों में है और वहां भी शोध में इस्तेमाल होती है।
विज्ञान और तकनीकी विभाग द्वारा 125 करोड़ रुपये से संचालित साथी (सोफिस्टिकेटेड एनालिटिकल एंड टेक्निकल हेल्प इंस्टीट्यूट) कार्यक्रम के तहत इसे बीएचयू के सेंट्रल डिस्कवरी सेंटर में स्थापित किया जाएगा। इस मशीन की खरीद की जिम्मेदारी देख रहे रसायनशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो. डीएस पांडेय के अनुसार अब तक की सबसे अत्याधुनिक यह मशीन 600 मेगाहट्ज पर काम करती है। इससे मधु में बाहर से मिलाए गए छोटे से छोटे कण या पदार्थ का पता लगाया जा सकेगा। मशीन यह भी बता देगी कि मधुमक्खी ने कौन से फूलों से रस प्राप्त करके शहद बनाया है। अभी बीएचयू के रसायन शास्त्र विभाग में 500 मेगाहट्ज की एनएमआर मशीन है
20 मिनट में होगा एक सैंपल का परीक्षण
यह मशीन जर्मनी के ब्रूकर कंपनी से 7.5 करोड़ रुपये में खरीदी जाएगी। इससे एक बार में 24 सैंपल की टेस्टिंग होगी। इस प्रोजेक्ट में शामिल डा. चंदन सिंह ने बताया कि एक सैंपल टेस्ट करने में 20 मिनट लगेगा। मशीन से खाद्य पदार्थों, डिटर्जेंट, साबुन व तेल में मिलाए गए हानिकारक तत्वों की भी जांच की जा सकती है।
भारतीय शहद उद्योग चीनी सीरप के मिलावट को पकडऩे में नाकाम
कई भारतीय कंपनियों ने शहद जांच की मशीनें लगाई हैं, जो 400 मेगाहट्ज क्षमता की हैं। चीनी सीरप को पकडऩे के लिए 500 मेगाहट्ज से अधिक क्षमता की मशीन चाहिए। बीएचयू में लगाई जा रही इस मशीन का व्यावसायिक पहलू भी है। इससे रोजाना शहद की जांचकर लघु उद्यमियों और आम जनता को धोखाधड़ी से बचाया जा सकेगा।
अगले साल अप्रैल-मई तक यह मशीन बीएचयू को मिल जाएगी
अगले साल अप्रैल-मई तक यह मशीन बीएचयू को मिल जाएगी। आयुष मंत्रालय ने वित्तीय सहयोग दिया तो च्यवनप्राश व अन्य आयुर्वेदिक औषधियों की भी जांच की जाएगी। बनारस के बड़ागांव में हनी क्लस्टर विकसित किया जा रहा है। मशीन से बनारस के मधुपालकों के व्यवसाय को भी लाभ मिलेगा।
-प्रो. ए.के. त्रिपाठी, विज्ञान संस्थान, बीएचयू