बीएचयू से बीएससी इन रेडियोथिरेपी टेक्नालाजी और एमएससी इन मेडिकल फिजिक्स कर सकेंगे
काशी हिंदू विश्वविद्यालय दो नए रोजगारपरक कोर्स शुरू करने जा रहा है। ये दोनों कोर्स स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के हैं। विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में इसी वर्ष यानी आगामी सत्र से शुरू होंगे बीएससी इन रेडियोथिरेपी टेक्नालाजी एवं एमएससी इन मेडिकल फिजिक्स के कोर्स।
वाराणसी [शैलेश अस्थाना]। युवाओं को पढ़ाई के बाद सीधे रोजगार से जोड़ने के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय का चिकित्सा विज्ञान संस्थान नए सत्र से स्नातक व स्नातकोत्तर स्तरीय दो कोर्स शुरू करने जा रहा है। इसमें बीएससी इन रेडियोथिरेपी टेक्नोलाजी चार वर्षीय व एमएससी इन मेडिकल फिजिक्स तीन वर्षीय है। एमएससी काेर्स आइआइटी बीएचयू के सहयोग से चलेगा। पहले साल की पढ़ाई छात्र को आइआइटी में तो दूसरे साल की चिकित्सा विज्ञान संस्थान में होगी। पाठ्यक्रम बोर्ड आफ स्टडीज से पारित कराने के बाद मान्यता के लिए संस्थान के प्लानिंग पालिसी कमेटी को भेजा गया है। एकेडमिक कौंसिल में पारित कराने के बाद लागू कर दिया जाएगा।
अंतिम साल इंटर्नशिप और मानदेय भी : संस्थान के रेडियोथिरेपी एंड रेडियो मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुनील चौधरी के अनुसार बीएससी पाठ्यक्रम चार वर्षों का है। इनमें तीन वर्ष पठन-पाठन और चौथे वर्ष यहीं संस्थान में ही छात्र इंटर्नशिप करेंगे जिसमें उन्हें पांच हजार रुपये मानदेय दिए जाएंगे। तीन वर्षीय एमएससी में तीसरा वर्ष इंटर्नशिप का होगा, जिसमें छात्र 15 हजार रुपये मानदेय पाएंगे। इसे करने के बाद छात्र कहीं भी इससे जुड़े संस्थान में अच्छे वेतन पर नौकरी पा सकते हैं।
प्रतिष्ठित संस्थानों से मान्यता : इन पाठ्यक्रमों के लिए एटामिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड मुंबई, स्टैंडिंग कमेटी आन ट्रेनिंग कोर्सेज एंड रेडिएशन प्रोफेशनल्स, रेडियोलाजिकल फिजिक्स एंड एडवायजरी डिवीजन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से मान्यता के लिए भेजा गया है। संस्थान में चल रहा डिप्लोमा इन रेडियोथिरेपी कोर्स पहले से भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और एईआरबी से एप्रूव्ड है जिसे बंद किया जाएगा।
रेडियोथिरेपी में दक्ष युवाओं की देश-विदेश में मांग : दोनों नए पाठ्यक्रम रोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। देश-विदेश में बढ़ते कैंसर मरीजों के अनुपात में कैंसर हास्पिटल्स, रेडियोथिरेपी सेंटर्स खुल रहे हैं। इनमें उच्च गुणवत्ता की मशीनों के संचालन के लिए दक्ष युवाओं की आवश्यकता होती है। देश में कुछ गिने-चुने संस्थानों में ही सीमित सीटों पर यह कोर्स उपलब्ध है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी वियाना और भारत सरकार भी देश के मेडिकल संस्थानों से इन कोर्सों को शुरू करने और तकनीकी स्टाफ तैयार करने का आग्रह कर चुका है।