बाइक गिरवी रख कर ठंड में ठिठुरते तीमारदारों के लिए बीएचयू ट्रामा सेंटर में बनवा रहे आश्रय
बीएचयू ट्रामा सेंटर में भर्ती एक रिश्तेदार को देखने गए थे जिनकी दुर्घटना में इलाज के दौरान मौत हो गई। उसी समय उनकी नजर ट्रामा सेंटर परिसर में खुले आसमान के नीचे ठंड में कांप रहे मरीजों के तीमारदारों पर पड़ी। उनकी मजबूरी देख सूबेदार द्रवित हो उठे।
वाराणसी (रवि पांडेय)। दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है। लोगों का गम देखा तो, मैं अपना गम भूल गया... पुरानी फिल्म के गीत की ये लाइन सूबेदार यादव पर फिट बैठती है। अदमापुर, महनाग थाना मिर्जामुराद निवासी समाजसेवी सूबेदार यादव एनसीसी और इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं। वे 28 दिसंबर को बीएचयू ट्रामा सेंटर में भर्ती एक रिश्तेदार को देखने गए थे जिनकी दुर्घटना में इलाज के दौरान मौत हो गई। उसी समय उनकी नजर ट्रामा सेंटर परिसर में खुले आसमान के नीचे ठंड में कांप रहे मरीजों के तीमारदारों पर पड़ी। उनकी मजबूरी देख सूबेदार द्रवित हो उठे। उनके पास नगद पैसे नहीं थे तो मोहनसराय के सुनील यादव के पास अपनी बाइक 25 हजार रुपये में गिरवी रख दी। कुछ मित्रों से भी सहयोग लिया और पहुंच गए ट्रामा सेंटर। प्रभारी से मुलाकात कर तीमारदारों की मदद की इच्छा जाहिर की। अनुमति मिलने के बाद सूबेदार ने मंगलवार को अपने साथियों संग ट्रामा सेंटर परिसर में एक किनारे साफ-सफाई की और बुधवार से टिन शेड लगने लगा। सूबेदार ने बताया कि 50 फीट टीन शेड लगा कर किनारे तिरपाल लगा देंगे जिससे लोगों को राहत मिल जाएगी। सूबेदार के इस नेक कार्य से समस्या का हल तो नहीं निकल पाएगा लेकिन लोगों को मदद की प्रेरणा जरूर मिलेगी।
खेत गिरवी रखकर गांव के युवाओं के लिए सूबेदार ने बनवाया था अखाड़ा
सामाजिक कार्य और मदद करने का यह पहला काम नहीं बल्कि इसके पहले सूबेदार यादव ने अपना खेत गिरवी रखकर युवाओं के लिए गांव में ही एक बड़ा अखाड़ा भी बनवाया था। छह साल पहले गांव में बनवाए अखाड़े पर आज भी 35-40 लड़के-लड़कियां कुश्ती के दांवपेच सीखने आते हैं। धर्मानुरागी सूबेदार अपने गांव और आसपास के लोगों को प्रयागराज कुंभ स्नान के साथ ही श्रद्धालुओं की सेवा भी किया था। कोरोना काल में भी सूबेदार स्वास्थ्य टीम के साथ सेवा में लगे रहे।