BHU में हॉस्टल से जबरन बाहर निकालने पर धरने पर बैठे छात्र, छात्रावास में लगा ताला
वाराणसी में बीएचयू प्रशासन ने रूइया छात्रावास के लगभग 15 छात्रों को हॉस्टल से जबरन बाहर निकाल दिया है। इससे क्षुब्ध छात्र अब वीसी लॉज के सामने धरने पर बैठ गए हैं।
वाराणसी, जेएनएन। वाराणसी में एक तरफ मुंबई से आने वाले प्रवासियों की वजह से कोरोना संक्रमण का दायरा बढ़ गया है वहीं दूसरी तरफ बीएचयू प्रशासन ने रूइया छात्रावास के लगभग 15 छात्रों को हॉस्टल से जबरन बाहर निकाल दिया है। लॉकडाउन के दौरान इन छात्रों को कुछ सूझ नहीं रहा कि वे क्यों करें। विश्वविद्यालय के इस रवैये से क्षुब्ध छात्र अब वीसी लॉज के सामने धरने पर बैठ गए हैं। बीएचयू के पीआरओ डा. राजेश सिंह का कहना है कि कि समर वेकेशन के कारण हॉस्टल खाली करवाया जा रहा है। छात्रावास को रेनोवेट कराना है। इसके लिए छात्राें से जबरदस्ती नहीं किया जा रहा है।
बनाया गया दबाव तो करेंगे आंदोलन
दूसरी तरफ बिरला छात्रावास के अंतःवासी भी विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्णय के विरोध में उतर गया है। बीएचयू स्थित बिरला छात्रावास के अंतः वासियों ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि उन्हें संक्रमण के खतरों के बीच पिछले एक सप्ताह से हॉस्टल खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है। बिना छात्रों के राय-मशविरा उन्हें हॉस्टल छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है। एक छात्र ने बताया कि पिछले साठ दिनों से वह छात्रावास में क्वारंटाइन हैं जबकि घर जाते वक्त रास्ते में उन्हें संक्रमण का खतरा बराबर बना रहेगा। इस कारण से उनके गांव पर घर वालों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।
गरीबी और गांव के कमजोर नेट कनेक्शन की दुहाई देते हुए उन्होंने बताया कि हॉस्टल में इंटरनेट आदि की अच्छी व्यवस्था है जिससे उनकी पढ़ाई और शोध निर्बाध गति से चल रहा है, जबकि गांव में ये सारी चीजें बंद हो जाएंगी। छात्रों ने मीडिया से मुखातिब होते हुए बताया कि चीफ प्रॉक्टर से शिकायत की गई वह बोले कि कुलपति के निर्देशानुसार यह कार्रवाई की जा रही है। छात्रों ने बताया कि वे हॉस्टल छोड़कर नहीं जाएंगे, यहीं पर क्वारंटाइन अवस्था में बने रहेंगे। यदि दबाव बनाया गया तो हम शांतिपूर्ण आंदोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं।
जिलाधिकारी ने नहीं उठाया फोन
छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने उनके कमरों में भी ताला लगा दिया है। संकट की घड़ी में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उठाया गया यह कदम उचित नहीं है। एक शोध छात्र ने बताया कि इस संबंध में हमने जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा को फोन किया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन भी कुछ भी सुनने के मूड में नहीं है। ऐसे में हम कहां जाए।