यूपी काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च से जुड़कर किसानों की आमदनी बढ़ाएंगे बीएचयू के विज्ञानी
कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू के विज्ञानी चकिया-चंदौली के तीन गांवों टकटकपुर गढ़वा दक्षिण व भीषमपुर के किसानों की आमदनी बढ़ाएंगे। वहां के किसानों को कृषि तकनीक के गुर सिखाएंगे। उत्पादन बढ़ाने के साथ उनके उत्पाद मार्केट सेक्टर से जोड़ेंगे।
वाराणसी, मुकेश चंद्र श्रीवास्तव। कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू के विज्ञानी चकिया-चंदौली के तीन गांवों टकटकपुर, गढ़वा दक्षिण व भीषमपुर के किसानों की आमदनी बढ़ाएंगे। वहां के किसानों को कृषि तकनीक के गुर सिखाएंगे। उत्पादन बढ़ाने के साथ उनके उत्पाद मार्केट सेक्टर से जोड़ेंगे। इसके लिए इन गांवों के करीब 1000 हेक्टेयर खेत क्लस्टर बनाकर उनमें माडल के रूप में पूरी तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह परियोजना प्रदेश सरकार की उपकार (उत्तर प्रदेश काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च)योजना के तहत चलेगी।
चार साल की इस परियोजना के तहत प्रदेश सरकार ने करीब 1.57 करोड़ राशि स्वीकृत कर दी है। वहीं बीएचयू की ओर से पहली किस्त के रूप में 40 लाख का बजट बनाकर शनिवार को भेजा गया। राशि जारी होते ही विज्ञानी कार्य शुरू कर देंगे।
यह हैं टीम में शामिल
कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित फार्मिंग इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. वीके चंदोला परियोजना के मुख्य अन्वेषक तथा प्रो. पीके सिंह, प्रो. एके पाल व डा. कमल वंशी उप अन्वेषक हैं। अन्य 20 कंसलटेंट भी जुड़े रहेंगे। इस कार्य में आइआइवीआर के साथ फार्ड फाउंडेशन सहयोग करेगा।
इन गांवों की भूमि क्लस्टर में शामिल
591: हेक्टेयर भूमि भीषमपुर
300 : हेक्टेयर भूमि गढ़वा दक्षिण
87 : हेक्टेयर भूमि टकटकपुर
प्रोसेसिंग सेंटर व बनेगी एसिड लाइन
विंध्य क्षेत्र में बैगन, टमाटर, मिर्च की उपज बढ़ाने के साथ प्रोसेसिंग की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए गांवों में प्रोसेसिंग सेंटर बनाया जाएगा। इन क्षेत्रों में ड्रैगन फ्रूट विकसित किया जाएगा। एसिड लाइन बनाई जाएगी, जिसमें नीबू की खेती होगी। अनार व अमरूद की खेती को भी बढ़ाया जाएगा।
हर घर में होगा मशरूम का उत्पादन
प्रो. चंदौला बताते हैं कि परियोजना के तहत हर घर मशरूम उत्पादन की योजना बनाई गई है। किसानों को मशीनरी एवं नई तकनीक दी जाएगी। इसके बाद सरसों, गेहूं व धान के भी अधिक उत्पादन वाले बीज दिए जाएंगे। खेती संग गांवों में मधुमक्खी, बकरी, भेड़, पोल्ट्री, मछली पालन से भी किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास होगा।
लखनऊ से होगी निगरानी
क्लस्टर में एक आइटी हब भी बनाया जाएगा, ताकि सूचना तकनीक के माध्यम से परियोजना की लखनऊ से भी निगरानी की जा सके। इसके लिए रिमोट सेंसिंग की व्यवस्था होगी। किसानों को हर तकनीक की समय-समय पर जानकारी दी जाएगी।