बीएचयू के वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो. ओ. एन. श्रीवास्तव का निधन, इसरो के लिए बनाया था सुपर फ्यूल
बीएचयू के प्रख्यात वैज्ञानिक और पद्मश्री प्रो. ओ एन श्रीवास्तव (78 वर्षीय) का शनिवार सुबह कोरोना से निधन हो गया। विगत चार दिनों से वह बीएचयू के आईसीयू में भर्ती थे और आज उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी। मगर वेंटिलेटर पर आने के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू के प्रख्यात वैज्ञानिक और पद्मश्री प्रो. ओ एन श्रीवास्तव (78 वर्षीय) का शनिवार की सुबह कोरोना से निधन हो गया। विगत चार दिनों से वह बीएचयू के आईसीयू में भर्ती थे और आज उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी। मगर वेंटिलेटर पर आने के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। दो सप्ताह पहले उनके रिसर्च स्कॉलर अभय जायसवाल का भी कोविड से निधन हो गया था।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जब अचानक बिना प्रोटोकॉल के बीएचयू में स्थित प्रो. ओ एन श्रीवास्तव के हाइड्रोजन एनर्जी सेंटर का दौरा किया तो प्रो. श्रीवास्तव के प्रति लोगों के दिलो-दिमाग में एक अलग छवि उभरी थी। वह दुनिया के दो फीसद शीर्ष वैज्ञानिकों में शुमार थे। वहीं अब तक उनके कुल 900 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके थे।
अपने जीवन के अंतिम सांस तक प्रो. श्रीवास्तव अनुसंधान और विज्ञान के लिए समर्पित रहे। प्रो. ओ. एन. श्रीवास्तव जल्द ही अपने बनाये दुनिया के सबसे उन्नत फ्यूल टैंक इसरो को भेजने वाले थे। यह पूरी तरह से बीएचयू के भौतिक विज्ञान विभाग में विकसित कर लिया गया था। यह स्टोरेज टैंक की शक्ल में नहीं, बल्कि कार्बन एरोजेल के रूप में था, जो रॉकेट में इस्तेमाल होने वाले ईंधन (तरल हाइड्रोजन) को सोख कर स्टोर करता है। इस तकनीक से अंतरिक्ष मिशन में लंबी दूरी के रॉकेट की गति और शक्ति में कई गुना वृद्धि होने का दावा किया गया था और इसरो के मंगल और मानव मिशन में यह तकनीक अहम भूमिका भी निभाती।
इसके दो माह पहले उनके नेतृत्व में हाइड्रोजन अनुसंधान के लिए नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन और बीएचयू के हाइड्रोजन एनर्जी सेंटर के बीच समझौता हुआ था। इसके तहत बनारस में जल्द ही हरित ऊर्जा हाइड्रोजन से 50 आटो-रिक्शा चलने थे।