BHU : भूत विद्या का संबंध पैरानॉर्मल अध्ययन से नहीं, महर्षि चरक ने अपनी संहिता में किया है जिक्र
बीएचयू स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद संकाय द्वारा शुरू किए गए भूत विद्या के अध्ययन को लेकर काफी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद संकाय द्वारा शुरू किए गए भूत विद्या के अध्ययन को लेकर काफी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी। इस कोर्स के नाम को लेकर काफी विवाद हुआ। इसको देखते हुए विवि प्रशासन ने बताया है यह कोर्स किसी भी तरह से पैरानॉर्मल अध्ययन यानि अपसामान्य गतिविधियों से संबंधित नहीं है। आयुर्वेद में उल्लेखित इन इकाइयों के नाम महर्षि चरक द्वारा रचित साहित्य में प्रयुक्त नामों के आधार पर ही रखे गए हैं।
महर्षि चरक ने अपनी पुस्तक में अष्टांग आयुर्वेद की आठ शाखाओं का वर्णन किया है। इसमें से आठ शाखाओं को पहले ही भारतीय मेडिसिन की नियामक इकाई सीसीआइएम द्वारा पहले ही स्वीकार कर लिया गया है। बाकी की तीन शाखाओं में साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर अर्थात भूत विज्ञान, एफ्रोडिजिएक डिसऑर्डर व जीरियाट्रिक डिसऑर्डर शामिल हैं। आयुर्वेद संकाय की नीति एवं नियोजन समिति की सिफारिश पर इन तीन शाखाओं को गठित करने की मंज़ूरी विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद ने दी थी। छह माह का यह सर्टिफिकेट कोर्स अगले साल जनवरी में शुरू हो रहा है। इसमें छात्रों को वेद एवं आयुर्वेद के आधार मानसिक विकारों व उनके उपचारों के बारे में पढ़ाया जाएगा। इसमें मेडिकल स्नातक वाले छात्र ही प्रवेश ले सकते हैं।
कुलपति को भेजा था पत्र
बीएचयू कोर्ट के सदस्य प्रो. श्रीराम सावरकर ने शुक्रवार को कुलपति के नाम एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने इलेक्ट्रानिक मीडिया में हो रहे भूत विद्या के दुष्प्रचार का जिक्र किया था। बताया था कि इससे बीएचयू जैसा प्रतिष्ठित संस्थान गलत वजहों से लोगों में चर्चा का कारण बना है।