बीएचयू के प्रो. वीएन मिश्रा ने की मोबाइल ऑक्सीजन प्वाइंट डिजाइन, वैन में एक साथ 32 मरीजों को चढ़ सकेगा प्राण वायु
प्रो. वीएन मिश्रा की ओर से मोबाइल ऑक्सीजन प्वाइंट डिजाइन किया गया है। इसके माध्यम से 16 सिलेंडरों का सपोर्ट वाली एक वैन चलेगी। इसमें 32 मरीजों को एक बार में ऑक्सीजन चढ़ाने की सुविधा होगी। निश्शुल्क सेवा उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही मोबाइल नंबर भी जारी किया जाएगा।
वाराणसी, जेएनएन। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो. वीएन मिश्रा की ओर से मोबाइल ऑक्सीजन प्वाइंट डिजाइन किया गया है। इसके माध्यम से 16 सिलेंडरों का सपोर्ट वाली एक वैन चलेगी। इसमें 32 मरीजों को एक बार में ऑक्सीजन चढ़ाने की सुविधा होगी। दावा किया गया है सूचना मिलने के बाद 30 से 60 मिनट में ही यह मोबाइल ऑक्सीजन वैन मरीज के यहां पहुंच जाएगी। इसमें मॉनिटर के साथ ही वीडियो कैमरा की भी व्यवस्था होगी। ताकि मरीज की स्थिति का दूर से ही अवलोकन किया जा सके।
प्रो. वीएन मिश्र ने इस संबंध में ट्विट भी किया है। उन्होंने बताया कि मरीजों के लिए यह सुविधा चार दिनों में मिलने लगेगी। इस दौरान मरीजों को परामर्श भी दिया जाएगा। ऑक्सीजन एवं परामर्श पूरी तरह निशुल्क रहेगा। इस कार्य में मुख्य रूप से न्यूरोलॉजी विभाग के डा. अभिषक पाठ, डा. वरुण सिंह, डा. आनंद कुमार एवं प्रो. आरएन चौरसिया का भी सहयोग लिया जा रहा है। प्रो. मिश्र बताते हैं कि कोरोना महामारी में लोग ऑक्सीजन के लिए परेशान हो रहे हैं। मरीजों को इधर-धर भटकना पड़ रहा है। ऐसे में महामना मोबाइल ऑक्सीजन प्लवाइंट वैन मरीजों के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने बताया कि निश्शुल्क में ऑक्सीजन एवं अन्य सभी सेवा उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही मोबाइल नंबर भी जारी किया जाएगा। ताकि मरीज या उनके परिजन संपर्क कर सके। बताया कि जब मरीज या उनके परिजन फोन करेंगे तो वैन वहां पर पहुंच जाएगी। ताकि तत्कालिक रूप से मरीज को ऑक्सीजन चढ़ाया जा सके।
ऑक्सीजन बिन छटपटा रही स्वास्थ्य व्यवस्था को शुक्रवार भोर टैंकरों में पहुंची 16 टन ऑक्सीजन की खेप संजीवनी से कम न रही। गुरुवार को टैंकर न पहुंचने से सभी की धुकधुकी बढ़ गई थी। आक्सीजन की कमी से कई अस्पतालों से मरीज अन्यत्र शिफ्ट करने पड़े थे। सुबह भी लोग-बाग सिलेंडर लेकर इधर-उधर भटकते रहे। शुक्रवार भोर में 16 टन ऑक्सीजन लेकर एक टैंकर रामनगर औद्योगिक क्षेत्र स्थित प्लांट में पहुंच गया। इससे जिला प्रशासन ने भी राहत की सांस ली। दरअसल, स्टॉक समाप्त होने से दो दिन पहले ही सामान्य तौर पर आपूर्ति हो जाती है। इसके तहत बुधवार को ऑक्सीजन लेकर टैंकर पहुंचने वाला था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किन्हीं कारणों से रास्ते में समय ज्यादा लग गया। इसके कारण गुरुवार को भी टैंकर नहीं पहुंचा था।