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बीएचयू के फीजियोथेरेपिस्ट बोले - 'कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए कार्डियोपल्मोनरी रिहैबिलिशन जरूरी'

लोगों को कुछ शारीरिक समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं जिनमें कुछ सामान्यतः थकान महसूस होना सांस फूलना सीने में दर्द आलस्य जोड़ों एवं मांस पेशियों में दर्द मानसिक तनाव एकाग्रता की कमी पाचन तंत्र की कमजोरी किसी काम में मन न लगना डर लगना आदि।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 05:14 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 05:14 PM (IST)
बीएचयू के फीजियोथेरेपिस्ट बोले - 'कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए कार्डियोपल्मोनरी रिहैबिलिशन जरूरी'
लोगों को कुछ शारीरिक समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं।

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को कुछ शारीरिक समस्याएं लंबे समय तक बनी रहती हैं, जिनमें कुछ सामान्यतः थकान महसूस होना, सांस फूलना, सीने में दर्द, आलस्य, जोड़ों एवं मांस पेशियों में दर्द, मानसिक तनाव, एकाग्रता की कमी, पाचन तंत्र की कमजोरी, किसी काम में मन न लगना, डर लगना आदि। मरीज जो पुरानी बीमारी के साथ कोविड संक्रमित हुए हो उनमें अन्य भी लक्षण देखने को मिल रहे हैं। मरीज जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ ना हुए हो उनमें कार्य क्षमता की कमी देखने को मिलती है।

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बीएचयू स्थित फीजियोथेरेपी के इंचार्ज डा. एसएस पांडेय बताते हैं कि ऐसे मरीजों को पोस्ट कोविड रिहैबिलिटेशन के तहत कार्डियोपल्मोनरी रिहैबिलिटेशन विधि, जिसमें स्वसन तंत्र एवं हृदय की कार्य क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए प्रोटोकॉल के तहत विशेष व्यायाम की सलाह दी जाती है। फिजियोथेरेपिस्ट मरीज का स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एवं परीक्षण कर उनकी समस्याओं के अनुरूप व्यक्तिगत तौर पर व्यायाम करने की सलाह देते हैं तथा समय-समय पर उनका परीक्षण कर शारीरिक क्षमता का अवलोकन करते हैं। इससे मरीज की शारीरिक क्षमता का वास्तविक स्थिति पता चलता है तथा उनका आत्मबल भी बढ़ता है।

डा. पांडेय बताते हैं कि यह बीमारी मरीजों के फेफड़े पर बुरा प्रभाव डालती है। जिसके कारण मरीज कोविड- निमोनिया से ग्रस्त हो जाते हैं। चिकित्सा के बाद भी फेफड़े की संरचना पूर्ववत: नहीं हो पाती या लंबे समय अंतराल के बाद सुधार होता है। गंभीर स्थिति होने पर अन्य अंगों का भी संक्रमण हो जाता है। अधिकांश मरीज जो कि गंभीर रूप से अथवा औसतन गंभीर स्थिति से स्वस्थ होकर लौटे हो, उन्हें पोस्ट कोविड सिंड्रोम की समस्या से  गुजरना पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि पोस्ट-कोविड रिहैबिलिटेशन प्रोसेस में प्राकृतिक चिकित्सा योग, आयुर्वेद एवं डाइटिशियन की भी सलाह संयुक्त रूप से ली जाती है। साथ ही साइकोलॉजिस्ट की भी सलाह महत्वपूर्ण होती है। मरीज चेस्ट फिजिशियन, जनरल फिजिशियन, कार्डियोलॉजिस्ट इत्यादि चिकित्सकों द्वारा स्वीकृति प्राप्त कर पोस्ट-कोविड रिहैबिलिटेशन के तहत कार्डियोपल्मोनरी रिहैबिलिटेशन प्रोसेस में भाग ले सकते हैं। रिहैबिलिटेशन विधि में ब्रदिंग एक्सरसाइज, पोस्चरल ड्रेनेज तकनीकी, इन्सेन्टिव स्पायरोमेट्रिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज, एरोबिक एक्सरसाइज, मैन्युवलथिरेपी, स्ट्रेचिंग, स्ट्रैंथनिंग एक्सरसाइज इत्यादि व्यायाम व्यक्तिगत रूप से मरीजों को बताई जाती है। 


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