Move to Jagran APP

BHU: यौन उत्पीड़न के दोषी एमएस ने कराई कुलपति की किरकिरी

कार्यकारिणी सदस्य ने वीसी से पूछा कि जिसकी जांच होनी चाहिए उसे पद कैसे दिया जा सकता है।

By Amal ChowdhuryEdited By: Published: Thu, 28 Sep 2017 10:15 AM (IST)Updated: Thu, 28 Sep 2017 10:15 AM (IST)
BHU: यौन उत्पीड़न के दोषी एमएस ने कराई कुलपति की किरकिरी
BHU: यौन उत्पीड़न के दोषी एमएस ने कराई कुलपति की किरकिरी

वाराणसी (जेएनएन)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति एक नए मामले में अपनी ही कार्यकारिणी की आलोचना का शिकार हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार फिजी में तैनाती के दौरान यौन उत्पीड़न में दोषी बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) डॉ. ओपी उपाध्याय को पांच वर्ष के लिए स्थायी नियुक्ति को लेकर कार्यकारिणी परिषद की बैठक में कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी पर सवाल उठाया गया।

loksabha election banner

कार्यकारिणी सदस्य ने वीसी से पूछा कि जिसकी जांच होनी चाहिए उसे पद कैसे दिया जा सकता है। इस सवाल के साथ कार्यकारिणी ने चिकित्सा अधीक्षक पद के लिए हुए साक्षात्कार के लिफाफे बंद ही रखे।

सूत्रों के अनुसार वर्ष 2012 में डा. ओपी उपाध्याय ने फिजी नेशनल यूनिवर्सिटी के वीसी के एडवाइजर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था। उसी दौरान वहां की एक युवती ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इस मामले में फिजी की अदालत ने दोषी पाते हुए उपाध्याय को दो वर्ष की सजा सुनाई थी, लेकिन सजा अमल में नहीं लाई गई।

उपाध्याय का दावा है कि फिजी की कोर्ट ने उसमें से छह माह की सजा माफ कर दी थी, शेष डेढ़ वर्ष की सजा के लिए यह कहा गया कि तीन माह तक आपका कार्य-व्यवहार देखा जाएगा। बहरहाल, इस मामले के चलते डा. उपाध्याय पर सवाल उठाते हुए बीएचयू कार्यकारिणी ने चिकित्सा अधीक्षक की नियुक्ति ही अटका दिया। इस पद के लिए 25 सितंबर को साक्षात्कार हुआ था।

क्या कहते हैं आरोपी: डा. ओपी उपाध्याय का कहना है कि फिजी में मेरे ऊपर यौन उत्पीड़न का आरोप रुपये ऐंठने के लिए लगाया गया था। कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई जरूर थी, लेकिन जेल नहीं भेजा था। मेरा पासपोर्ट चेक कर सकते हैं। उसके बाद भी मैंने फिजी यूनिवर्सिटी में अपना काम जारी रखा और बाद में बेदाग बीएचयू चला आया। अब यह मामला इसलिए उठाया जा रहा क्योंकि अस्पताल में लोगों की दलाली बंद करा दी है।

पावर सीज को लेकर अटकलें: केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति के लिए एक प्रावधान है कि कार्यकाल खत्म होने के दो माह पूर्व से उन्हें 'पॉलिसी मैटर' खासकर आर्थिक व नियुक्ति के अधिकार का प्रयोग बंद कर देना चाहिए। इस हिसाब से 27 नवंबर को बीएचयू के कुलपति का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। लिहाजा 27 सितंबर बुधवार को उनके पावर सीज होने को लेकर अटकलें चलती रहीं।

यह भी पढ़ें: मथुरा में यमुना एक्सप्रेस वे पर हाईजैक कर बस लूटी

पहले भी उठा ये मुद्दा: सूत्रों का कहना है कि बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रो. पंजाब सिंह ने अपने कार्यकाल समाप्ति के पांच दिन पूर्व तक नियुक्तियां की थीं, जबकि पूर्व कुलपति डा. लालजी सिंह की शिकायत होने के चलते उनके पावर सीज करते हुए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित कर दी गई थी। वहीं कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी मामले में अब तक आधिकारिक तौर पर पावर सीज किए जाने की कोई सूचना नहीं आई है।

यह भी पढ़ें: सपा अधिवेशन के बाद शिवपाल ले सकते कोई बड़ा फैसला


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.