BHU: यौन उत्पीड़न के दोषी एमएस ने कराई कुलपति की किरकिरी
कार्यकारिणी सदस्य ने वीसी से पूछा कि जिसकी जांच होनी चाहिए उसे पद कैसे दिया जा सकता है।
वाराणसी (जेएनएन)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति एक नए मामले में अपनी ही कार्यकारिणी की आलोचना का शिकार हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार फिजी में तैनाती के दौरान यौन उत्पीड़न में दोषी बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) डॉ. ओपी उपाध्याय को पांच वर्ष के लिए स्थायी नियुक्ति को लेकर कार्यकारिणी परिषद की बैठक में कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी पर सवाल उठाया गया।
कार्यकारिणी सदस्य ने वीसी से पूछा कि जिसकी जांच होनी चाहिए उसे पद कैसे दिया जा सकता है। इस सवाल के साथ कार्यकारिणी ने चिकित्सा अधीक्षक पद के लिए हुए साक्षात्कार के लिफाफे बंद ही रखे।
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2012 में डा. ओपी उपाध्याय ने फिजी नेशनल यूनिवर्सिटी के वीसी के एडवाइजर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था। उसी दौरान वहां की एक युवती ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इस मामले में फिजी की अदालत ने दोषी पाते हुए उपाध्याय को दो वर्ष की सजा सुनाई थी, लेकिन सजा अमल में नहीं लाई गई।
उपाध्याय का दावा है कि फिजी की कोर्ट ने उसमें से छह माह की सजा माफ कर दी थी, शेष डेढ़ वर्ष की सजा के लिए यह कहा गया कि तीन माह तक आपका कार्य-व्यवहार देखा जाएगा। बहरहाल, इस मामले के चलते डा. उपाध्याय पर सवाल उठाते हुए बीएचयू कार्यकारिणी ने चिकित्सा अधीक्षक की नियुक्ति ही अटका दिया। इस पद के लिए 25 सितंबर को साक्षात्कार हुआ था।
क्या कहते हैं आरोपी: डा. ओपी उपाध्याय का कहना है कि फिजी में मेरे ऊपर यौन उत्पीड़न का आरोप रुपये ऐंठने के लिए लगाया गया था। कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई जरूर थी, लेकिन जेल नहीं भेजा था। मेरा पासपोर्ट चेक कर सकते हैं। उसके बाद भी मैंने फिजी यूनिवर्सिटी में अपना काम जारी रखा और बाद में बेदाग बीएचयू चला आया। अब यह मामला इसलिए उठाया जा रहा क्योंकि अस्पताल में लोगों की दलाली बंद करा दी है।
पावर सीज को लेकर अटकलें: केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति के लिए एक प्रावधान है कि कार्यकाल खत्म होने के दो माह पूर्व से उन्हें 'पॉलिसी मैटर' खासकर आर्थिक व नियुक्ति के अधिकार का प्रयोग बंद कर देना चाहिए। इस हिसाब से 27 नवंबर को बीएचयू के कुलपति का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। लिहाजा 27 सितंबर बुधवार को उनके पावर सीज होने को लेकर अटकलें चलती रहीं।
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पहले भी उठा ये मुद्दा: सूत्रों का कहना है कि बीएचयू के पूर्व कुलपति प्रो. पंजाब सिंह ने अपने कार्यकाल समाप्ति के पांच दिन पूर्व तक नियुक्तियां की थीं, जबकि पूर्व कुलपति डा. लालजी सिंह की शिकायत होने के चलते उनके पावर सीज करते हुए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित कर दी गई थी। वहीं कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी मामले में अब तक आधिकारिक तौर पर पावर सीज किए जाने की कोई सूचना नहीं आई है।
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