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बीएचयू के पहले कैंसर एमडी छात्र प्रो. कल्लूरी ने की थी राष्ट्रीय एसोसिएशन की स्थापना

Birth Anniversary प्रो. कल्लूरी सुब्रमण्य चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू स्थित रेडिएशन आंकोलाजी के पहले एमडी छात्र थे। उनका निधन इसी साल कोरोना काल में 13 अप्रैल को हुआ। उनका बीएचयू से बहुत लगाव था। उन्होंने ही देश में पहली बार इंडियन कालेज आफ रेडिएशन आंकाेलाजी की स्थापना की।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 07 Nov 2021 12:25 PM (IST)Updated: Sun, 07 Nov 2021 12:25 PM (IST)
बीएचयू के पहले कैंसर एमडी छात्र प्रो. कल्लूरी ने की थी राष्ट्रीय एसोसिएशन की स्थापना
प्रो. कल्लूरी सुब्रमण्य चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित रेडिएशन आंकोलाजी के पहले एमडी छात्र थे।

वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। प्रो. कल्लूरी सुब्रमण्य चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित रेडिएशन आंकोलाजी के पहले एमडी छात्र थे। उनका निधन इसी साल कोरोना काल में 13 अप्रैल को हुआ। उनका बीएचयू से बहुत लगाव था। उन्होंने ही देश में पहली बार इंडियन कालेज आफ रेडिएशन आंकाेलाजी की स्थापना की। वे एसोसिएशन आफ रेडिएशन आंकोलाजिस्ट्स के अध्यक्ष भी रहे थे। वर्ष 2013 में बीएचयू से उन्होंने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ली और उसके बाद अनेक अस्पतालों में मरीजों के कल्याण के लिए कार्य करते रहे। उनका जन्म हैदराबाद में आठ नवंबर 1949 में हुआ था। उनको याद करते हुए विज्ञाग ने प्रो. कल्लूरी के नाम से एक गोल्ड मेडल शुरू किया है। पहला मेडल विभाग में टाप करने वाली प्रतिभाशाली छात्रा डा. श्रेया सिंह को दिया जाना है।

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संसार में ऐसे कई महापुरुष रहे हैं जो अपनी जीवन कालावधि में मानवता की सेवा करते हैं। हालांकि विरले ही ऐसे लोग भी मिलते हैं जो दुनिया से जाने के बाद भी मानवता के लिए प्रेरणा के स्रोत बने रहते हैं। ऐसी ही महान हस्तियों में जाने-माने कैंसर विशेषज्ञ (रेडिएशन आंकोलाजिस्ट) प्रो. कल्लूरी सुब्रमण्यम का नाम शुमार होता है । यूं तो कैंसर को एक असाध्य रोग के नजरिए से देखा जाता है, जिसके निदान को खोजने के लिए अहर्निश वैज्ञानिक कार्यरत हैं। ऐसी स्थिति में प्रोफेसर सुब्रमण्यम ने इस खोज में अपना योगदान देते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश-विदेश के तमाम वैज्ञानिकों के साथ कार्य करते हुए उन्होंने इस रिसर्च को एक नई दिशा प्रदान की है। १९९६ में उनको नरगिस दत्त अवार्ड से न्यू यॉर्क में सम्मानित किया गया।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आरंभ से ही प्रतिभाओं की जननी रहा है। डॉक्टर सुब्रमण्यम भी इसी विश्वविद्यालय के भूतपूर्व छात्र रहे हैं। यहीं से उन्होंने एमबीबीएस, डिप्लोमा इन मेडिकल रेडिएशन थेरेपी एवं एमडी रेडिएशन ऑंकोलॉजी की शिक्षा ग्रहण की। बीएचयू के रेडिएशन आंकोलाजी के प्रथम एमडी छात्र रहे डाक्टर कल्लूरी का बीएचयू से विशेष स्नेह एवं अटूट नाता रहा है। बीएचयू के प्रति उनका विशेष लगाव देखकर उन पुण्यात्मा की स्मृति में उनके परिवार ने उनके नाम पर एक गोल्ड मेडल देने की घोषणा की है। यह मेडल एमडी रेडिएशन आंकोलाजी के टापर को नवाजा जाएगा।

बीएचयू के रेडिएशन आंकोलाजी डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील चौधरी ने उनका आभार व्यक्त किया एवं आश्वासन दिया कि डा. कल्लूरी की शिक्षाओं और उपदेशों को हमेशा याद रखा जाएगा और यह गोल्ड मेडल छात्रों के लिए एक ध्रुवतारा के समान प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करेगा। बताया कि इसको आश्चर्य का विषय कहें या संयोग कि प्रो. कल्लूरी का जन्म और एक्सरे का अन्वेषण दोनों आठ नवम्बर के दिन हुए थे। इसी पावन दिवस पर इस गोल्ड मेडल देने का शुभारंभ किया जा रहा है, और इस वर्ष यह प्रथम गोल्ड मेडल डिपार्टमेंट की प्रतिभाशाली छात्रा डॉक्टर श्रेया सिंह को दिया जा रहा है, जो की बीएचयू के एमडी रेडिएशन अांकोलाजी की टापर हैं, और वर्तमान में एम्स नई दिल्ली में सीनियर रेजीडेंसी कर रही हैं।


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