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कोरोना के कहर से उबर नहीं पा रहा भदोही का कालीन कारोबार, निर्यातकों को नया आर्डर मिलना हुआ बंद

भदोही में बनने वाली कालीन के प्रमुख खरीदार देश अमेरिका जर्मनी फ्रांस ब्रिटेन व यूके में कोरोना के नए वैरियंट की वजह से हालात अच्छे नहीं हैं। सबसे बड़े आयातक देश जर्मनी में लाकडाउन लगा है। इसकी वजह से भदोही के कालीन उद्यमियों को 200 करोड़ का नुकसान हुआ है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 05:54 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 05:54 PM (IST)
कोरोना के कहर से उबर नहीं पा रहा भदोही का कालीन कारोबार, निर्यातकों को नया आर्डर मिलना हुआ बंद
अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन व यूके में कोरोना के नए वैरियंट की वजह से हालात अच्छे नहीं हैं।

भदोही, जागरण संवाददाता। दो साल से अधिक समय से पूरी दुनिया पर कहर बनकर टूट रहे कोरोना के नए वैरिएंट ने हाहाकार मचा रखा है। कई देशों ने लाकडाउन लगा दिया है। कारोबार की कौन कहे सामान्य जीवन ही अस्त-व्यस्त हो गया है। इसका जबरदस्त असर भदोही के कालीन कारोबार पर पड़ रहा है। कालीन निर्यातकों को नया आर्डर नहीं मिल रहा है। पुराने आर्डर के माल गोदाम में डंप पड़े हुए हैं। 200 करोड़ का कारोबार प्रभावित हो चुका है। 12 जनवरी से प्रस्तावित रहा अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला डोमोटेक्स भी रद हो गया है।

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भदोही में बनने वाली कालीन के प्रमुख खरीदार देश अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन व यूके में कोरोना के नए वैरियंट की वजह से हालात अच्छे नहीं हैैं। सबसे बड़े आयातक देश जर्मनी में आंशिक लाकडाउन लगा है। इसकी वजह से भदोही के कालीन उद्यमियों को 200 करोड़ का नुकसान हुआ है। कालीन निर्यातकों को नया आर्डर नहीं मिल रहा है तो पुराने आर्डर के माल गोदाम में डंप पड़े हैं। कालीन कारोबार के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला डोमोटेक्स के रद होने से भी नुकसान हुआ है। कालीन मेलों का महाकुंभ कहे जाने वाले डोमोटेक्स का अंतिम बार आयोजन जनवरी 2020 में हुआ था। इसके बाद राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के कालीन मेलों पर ब्रेक लग गया। ऐसी स्थित में निर्यातक ग्राहकों से आनलाइन संपर्क कर व्यवसाय को गतिमान रखने में जुटे थे लेकिन कोरोना के तीसरी लहर ने उसे भी प्रभावित कर दिया है।

50 प्रतिशत तक घट गया आर्डर : पिछले एक माह में नए आर्डर में 50 परसेंट की कमी दर्ज की गई है। पुराने आर्डर के ही काम कराए जा रहे हैं। जर्मनी, ब्रिटेन सहित कुछ देशों में ट्रांसपोटेशन सिस्टम ठप होने के कारण पुराने आर्डर के माल डंप हो गए हैं। कालीन निर्यातक पीयूष बरनवाल का कहना है कि दूसरी लहर के बाद व्यवसाय पटरी पर आ गया था। आनलाइन विजिट कर लोग आर्डर निकाल रहे थे लेकिन फिर से संकट उत्पन्न हो गया है। वहीं काम कराना भी मुश्किल हो रहा है। कालीन निर्यातक आलोक बरनवाल का कहना है कि देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए कालीन फैक्ट्रियों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है। ने हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। बिना वैक्सीनेशन के प्रवेश वर्जित कर दिया गया है।

चार गुना तक बढ़ गया कंटेनर का किराया : कालीन निर्यातक संजय गुप्ता का कहना है कि दो साल से उत्पन्न कंटेनर किल्लत अभी भी निर्यातकों के लिए सिरदर्द बनी हुई है। दो साल पहले तक 800 रुपये डालर के किराए पर मिलने वाला कंटेनर इस समय 3000 से 3500 डालर में मिल रहा है। उसमें गारंटी नहीं है कि समय से माल गंतव्य तक पहुंच जाएगा। कंटेनर अभाव के चलते कई निर्यातकों के माल बंदरगाहों पर डंप हैं। इसके कारण छोटे व मझोले निर्यातक चाहकर भी माल नहीं भेज पा रहे हैं।


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