धान के लिए खेत खाली छोड़ने से बेहतर करें उपाय, दो माह में अनाज ही नहीं सब्जियों की खेती से लाभ
खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई में अभी दो महीने का समय बाकी है। इस बीच में किसान अपने खेतों में कम पानी में उगने वाली और महज दो महीने में तैयार होने वाली उड़द और मूंग की बुवाई कर सकते हैं।
वाराणसी, जेएनएन। रबी की मुख्य फसल गेहूं की कटाई और मड़ाई अंतिम दौर में है। इसके बाद खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई में अभी दो महीने का समय बाकी है। इस बीच में किसान अपने खेतों में कम पानी में उगने वाली और महज दो महीने में तैयार होने वाली उड़द और मूंग की बुवाई कर सकते हैं। उन्हें इसका दोहरा लाभ मिल सकता है एक तो दाल की आपूर्ति हो जाएगी दूसरे खेत में दलहनी फसल उगाने से प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाएगी। 65-70 दिनों में तैयार होने वाली यह फसल किसान को अतिरिक्त आय दे सकती है।
जिला कृषि अधिकारी सुभाष मौर्य बताते हैं कि गेहूं की कटाई के बाद किसान तीसरी फसल के रूप में मूंग (दलहन) की खेती कर सकते है। विभाग ने इसके लिए किसानों के बीच जागरूकता अभियान भी चलाया है। यह फसल 65-70 दिनों में तैयार हो जाती है। साथ ही खेत की मिट्टी को प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन मिल जाती है, इससे भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ जाती है।
उन्होंने बताया कि गेहूं 15 अप्रैल तक पूरी तरह से कट जाएगा। इसके बाद ज्यादातर खेत खाली पड़े रहते हैं। इस दौरान किसान चाहे तो तीसरी फसल के रूप में मूंग या उड़द (दलहन) तथा सूरजमुखी (तिलहन) की खेती कर सकते हैं। सूरजमुखी की खेती के लिए किसानों को स्वयं बीज खरीदना पड़ेगा। यह फसल भी 65-70 दिन में तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा मूंग की खेती के लिए आए आठ क्विंटल बीज किसानों में वितरित किए जा चुके हैं। सभी ब्लाकों में बीज भेज दिया गया है। उम्मीद है कि जिले में कुछ किसान सेवा केंद्रों पर यह बीज अभी भी उपलब्ध हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि उड़द और सूरजमुखी के बीज बाजार से लेने पड़ेंगे।
कर सकते हैं जायद की सब्जियों की खेती
दो माह खेत खाली रखने से बेहतर है कि कम पानी में उगने वाली जायद की सब्जियों की खेती कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इसके लिए खीरा, ककड़ी, तरबूज बोए जा सकते हैं। ग्रीष्म ऋतु में बोई जाने वाली मूंगफली की खेती भी लाभप्रद रहेगी।
हरी खाद उगाकर बढ़ा सकते खेत की जैविक उर्वरा शक्ति
जिला कृषि अधिकारी सुभाष मौर्य बताते हैं कि गेहूं काटने के बाद धान रोपाई के बीच केे समय का किसान अपने खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके ढैंचा बो सकते हैं। जल्द ही विभाग में सरकारी अनुदान पर ढैंचा का बीज उपलब्ध हो जाएगा।