Air Quality Index : देव दीपावली के कोलाहल के बाद भी प्रदेश का सबसे कम प्रदूषण वाला दूसरा शहर रहा बनारस
देव-दीपावली के कोलाहल के बावजूद भी बनारस में वायु प्रदूषण की स्थिति प्रदेश में हापुड़ के बाद सबसे बेहतर रही। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 271 रहा जबकि अन्य सभी शहरों में यह 300 के पार चला गया। हापुड़ का एक्यूआई सबसे कम 170 दर्ज किया गया।
वाराणसी, जेएनएन। देव-दीपावली के कोलाहल के बावजूद भी बनारस में वायु प्रदूषण की स्थिति प्रदेश में हापुड़ के बाद सबसे बेहतर रही। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 271 रहा, जबकि अन्य सभी शहरों में यह 300 के पार चला गया। हापुड़ का एक्यूआई सबसे कम 170 दर्ज किया गया।
बनारस में प्रधानमंत्री के आगमन, तेज शादियों के अवसर व पर्यटकों की प्रचंड भीड़ के बावजूद भी यह स्थिति राहत देने वाली है। हालांकि प्रदूषण अपने मानक से फिर भी कहीं ज्यादा है, जिसको नियंत्रित किया जाना चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह के अनुसार सारे निर्माण कार्य स्थगित कर दिए गए थे और वाटर स्प्रे का काम दिन-रात चलता रहा, जिससे धूल व मिट्टी के कण नहीं उड़े। इस बीच गंगा का जल थोड़ा प्रदूषित हुआ है, जिसके जांच के बाद तस्वीर स्पष्ट होगी। प्रदेश के अन्य शहरों में प्रदूषित शहर गाजियाबाद रहा, जहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ज्यादा था। वहीं लखनऊ में 305, कानपुर में 353, ग्रेटर नोएडा में 362, मुजफ्फरनगर 362 रहा एयर क्वालिटी इंडेक्स।
सोनभद्र की हवा में प्रदूषण बढ़ा, एक्यूआइ 300 के पार
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर चिंता जताते हुए गत दिनों प्रदेश के 16 जनपदों को हाटस्पाट घोषित किया। उसमें सोनभद्र जिले का अनपरा भी शामिल है। यहां प्रदूषण के खतरनाक स्थिति से बचने के लिए तमाम तरह के उपाय करने के निर्देश दिए गए है। जिले का प्रदूषण नियंत्रण विभाग इस दिशा में काम भी कर रहा है, लेकिन प्रयास अब तक सार्थक साबित नहीं हुए। आलम यह है कि दिसंबर की शुरूआत में ही ऊर्जांचल क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता खराब हो गई। सिंगरौली-सोनभद्र क्षेत्र की एक्यूआइ यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के पार पहुंच गई। प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव ने उच्चस्तर पर बैठक करके अधिकारियों को निर्देश दिया था कि जिले में प्रदूषण रोकने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जाएं। पराली जलाने वालों पर कठोर कार्रवाई की रणनीति बनी। साथ ही नियमित निगरानी के लिए राजस्व, पुलिस व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को शामिल करके एक टीम बनायी गई है। कोयले के परिवहन में पारदर्शिता लाते हुए ढककर परिवहन करने के लिए कोल परियोजनाओं से कहा गया है।