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यूपी में लागू होगा बनारस का Mohalla School माडल, मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सक्रिया हुआ बेसिक शिक्षा विभाग

कोरोना काल में जूनियर हाईस्कूल स्तर के बच्चों को पठन-पाठन से जोड़े रखने के लिए बनारस का मोहल्ला स्कूल अभियान काफी सफल माना जा रहा है। अभियान के तहत परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक गांव में जाकर दस से 25 बच्चों की टोली बनाकर पढ़ा रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 03:30 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 09:00 AM (IST)
यूपी में लागू होगा बनारस का Mohalla School माडल, मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद सक्रिया हुआ बेसिक शिक्षा विभाग
मोहल्ला स्कूल के तहत भुल्लनपुर में बच्चों को पढ़ाती प्रतिभा मिश्रा।

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना काल में जूनियर हाईस्कूल स्तर के बच्चों को पठन-पाठन से जोड़े रखने के लिए बनारस का मोहल्ला स्कूल अभियान काफी सफल माना जा रहा है। अभियान के तहत परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक गांव में जाकर दस से 25 बच्चों की टोली बनाकर पढ़ा रहे हैं। शिक्षकों के इस पहल की अभिभावक भी खूब सराहना कर रहे हैं। बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए अब इसका नाम बदल कर मेरा घर-मेरा स्कूल कर दिया गया है। वहीं, अब बनारस माडल को पूरे सूबे में लागू करने की तैयारी चल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसकी घोषणा भी कर चुके हैं। वहीं, जनपद से भी मोहल्ला स्कूल माडल की रूपरेखा बेसिक शिक्षा विभाग को प्रेषित की जा चुकी है।

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कोरोना महामारी को देखते हुए सभी शैक्षिक संस्थाओं को आनलाइन क्लास चलाने का निर्देश था। शासन के निर्देश पर परिषदीय विद्यालयों में भी आनलाइन क्लास की शुरुआत की गई। काफी प्रयास के बाद शिक्षक 40 फीसद बच्चों को ही आनलाइन क्लास से जोड़ सके। स्मार्ट मोबाइल फोन व टीवी न होने के कारण करीब 60 फीसद बच्चे आनलाइन क्लास से नहीं जुड़ सके। इसे देखते हुए अगस्त में सेवापुरी ब्लाक के शिक्षकों ने घर-घर जाकर पढ़ाने के लिए दस-दस बच्चों को गोद लेने का निर्णय लिया। धीरे-धीरे इसकी शुरुआत अन्य ब्लाकों में की गई।

बच्चों की संख्या बढऩे पर गांव में टोली बनाकर शिक्षक पढ़ाने लगे और मोहल्ला स्कूल का नाम दे दिया गया। मोहल्ला स्कूल ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे थे। इसे देखते हुए इसका नाम संशोधित कर मेरा घर-मेरा स्कूल कर दिया गया। जूनियर हाईस्कूल स्तर के विद्यालय अब भी बंद चल रहे हैं। ऐसे में स्कूल के समय शिक्षक गांवों में जाकर बच्चों को उनके घर के आसपास पढ़ा रहे हैं।

यह अभियान पूरे देश में लागू कराने की भी घोषणा कर चुके हैं

कारोना काल में स्कूल बंद होने से शिक्षकों को बच्चों के घर जाकर पढ़ाने का निर्देश दिया गया है ताकि आर्थिक संसाधन के अभाव में जो बच्चे आनलाइन क्लास से नहीं जुड़ पा रहे हैं, उन्हें भी पढ़ाया जा सके। मोहल्ला स्कूल अभियान काफी कारगर साबित हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 23 अक्टूबर को शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देते समय यह अभियान पूरे देश में लागू कराने की भी घोषणा कर चुके हैं। 

- राकेश सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी

एक दिन अंतराल में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है

प्राथमिक विद्यालयों में पढऩे वाले बच्चे काफी छोटे हैं। ऐसे में ज्यादातर बच्चों को आनलाइन पढ़ाई समझ में नहीं आ रही थी। इस लिए उनके गांव में ही बच्चों को पढ़ाने का निर्णय लिया गया। बच्चों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। इसे देखते हुए अब एक दिन अंतराल में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

- शबाना इकबाल, प्रधानाध्यापिका प्राथमिक विद्यालय (हरदत्तपुर)

 अभिभावकों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है

पहले एक पेड़ के नीचे क्लास चलाया जाता था। अब प्रधान के सहयोग से एक बड़ा हाल मिल गया है। बच्चों को इसी हाल में पढ़ाया जा रहा है। बच्चों की संख्या को देखते हुए दो शिफ्टों में मोहल्ला स्कूल चलाया जा रहा है। बच्चे भी काफी उत्साहित हैं। अभिभावकों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है।

- विभा चौधरी, प्रधानाध्यापिका प्राथमिक विद्यालय (भुल्लनपुर)

हमलोगों की पढ़ाने की आदत बनी हुई है

कोरोना काल में स्कूल बंदी का आदेश बढ़ता ही जा रहा था। जूनियर हाईस्कूल स्तर के विद्यालय अब भी बंद चल रहे हैं। वहीं, बच्चे सब भूलते जा रहे थे। मोहल्ला स्कूल के माध्यम से बच्चों में पढऩे-लिखने की आदत अब भी बनी हुई है। बीएसए का यह कदम स्वागत योग्य है। हमलोगों की पढ़ाने की आदत बनी हुई है।

- रमा रूखयैर, अध्यापिका

मेरा पुत्र यश कक्षा दो में पढ़ रहा है

मेरा पुत्र यश कक्षा दो में पढ़ रहा है। स्कूल बंद होने से उसकी पढ़ाई पूरी तरह से ठप चल रही थी। अब गांव में ही पढ़ाई हो रही है। बच्चा भी आंख के सामने है। वहीं, अब घर पर भी बच्चा पढ़ रहा है।

- संजय, अभिभावक

अब किताब भी मिल गई है और पढ़ाई भी हो रही

मैंने अपनी पुत्री संजना का स्कूल में दाखिला इसी वर्ष कक्षा एक में करवाई थी। स्कूल बंद के कारण उसकी पढ़ाई नहीं हो पा रही थी। अब किताब भी मिल गई है और पढ़ाई भी हो रही है।

- कमला देवी, अभिभावक

सरकार का यह प्रयास काफी अच्छा है

मोहल्ला स्कूल में मैं अपनी बच्ची सलोनी को हर दिन भेजती हूं। दो माह में वह काफी कुछ सीख गई है। अब घर पर बैठ कर सवाल भी लगाती है। सरकार का यह प्रयास काफी अच्छा है।

- रूबी, अभिभावक


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