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Garbage Free City की रेटिंग में बनारस अयोग्य घोषित, नगर निगम प्रशासन की लापरवाही उजागर

आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से कराए गए गार्बेेज फ्री सिटी की स्टार रेटिंग में बनारस को अयोग्य घोषित किया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 12:45 AM (IST)Updated: Thu, 21 May 2020 09:41 AM (IST)
Garbage Free City की रेटिंग में बनारस अयोग्य घोषित, नगर निगम प्रशासन की लापरवाही उजागर
Garbage Free City की रेटिंग में बनारस अयोग्य घोषित, नगर निगम प्रशासन की लापरवाही उजागर

वाराणसी, जेएनएन। आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से कराए गए गार्बेेज फ्री सिटी की स्टार रेटिंग में बनारस को अयोग्य घोषित किया गया है। इसमें नगर निगम को कोई भी रेटिंग प्राप्त नहीं हुआ है। भारत सरकार और प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद गार्बेज फ्री सिटी की रेटिंग में कोई स्थान नहीं मिलना निगम प्रशासन की सफाई के प्रति लापरवाही को उजागर कर दिया है। साथ ही इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत काम का रही टाटा ट्रस्ट, टेरी, जीआइजेड, जायका के जागरुकता अ भियान पर पर सवाल खड़ा कर दिया है।

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ऑफलाइन कागजात के बारे में जानकारी नहीं होने से ही हम रेटिंग सूची से बाहर हो गए

हालांकि नगर आयुक्त गौरांग राठी इसके लिए केवल दो कारण को जिम्मेदार मान रहे हैं। पहला ऑफलाइन विवरण की जानकारी से संबंधित कागजात का पूरा न होना और दूसरा निर्माण सामग्रियों के निस्तारण की उचित व्यवस्था का न होना। इस कारण ही वाराणसी नगर निगम को कोई स्थान नहीं मिल सका है। उन्होंने बताया कि मुख्यत: ऑफलाइन कागजात के बारे में जानकारी नहीं होने से ही हम रेटिंग सूची से बाहर हो गए। उन्होंने बताया कि रमना में बन रहे निर्माण सामग्रियों के निस्तारण का प्लांट भी अभी अधूरा है। उन्हेंं इसे पूर्ण रूप में चालू हालत में चाहिए था। इसके बावजूद डोर टू डोर कूड़ा निस्तारण नगर निगम के बड़ी चुनौती है। पिछले छह माह से निगम प्रशासन किसी एजेंसी को तय नहीं कर सका था। अब मुंबई की एक कंपनी को कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही लोगों की कूड़ा निस्तारण समय से नहीं होने पर लोगों की लगातार आने वाली शिकयतों को भी रेंटिंग करने वाली कंपनी ने गंभीरता से लिया है।

देश भर के 1435 शहरी निकायों ने आवेदन किया था

आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने निकायों में सफाई के मामलों में प्रतिस्पर्घा बनाए रखने के लिए रेटिंग की शुरूआत की है। जिससे निकाय प्रतिस्पर्धा के लिहाज से भी अपने शहरों को स्वच्छ रखने के प्रति गंभीर हों। इसके लिए देश भर के 1435 शहरी निकायों ने आवेदन किया था। इसमें केवल 141 को ही स्टार रेटिंग की सूची में स्थान मिल सका है। इसमें प्रदेश के लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, झांसी, गजरौला और अलीगढ़ को एक स्टार से संतोष करना पड़ा है। किसी भी शहर को सात स्टार की रेटिंग प्राप्त नहीं हुई है। अंबिकापुर, राजकोट, सूरत, मैसूर, इंदौर और नवी मुंबई को पांच स्टार की रेटिंग मिली है। 

गार्बेज फ्री सिटी के मापदंड

मंत्रालय ने इसके लिए 25 मापदंड बनाए थे। इसमें डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, गीला कूडा और सूखा कूड़ा का अलग-अलग निस्तारण, सार्वजनकि और व्यावसायिक स्थलों पर सफाई, कचरा से संबंधित शिकायतों का निस्तारण, होटलों और रेस्टोरेंटों से निकलने वाले खाद्य अप शिष्टों का निस्तारण, गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ पेनाल्टी, कूड़ा निस्तारण के लिए यूजर चार्जेज की स्थिति, नालियों की सफाई आदि थे।

स्वच्छता सर्वेक्षण से ही उम्मीद

अब मई के अंत में आने वाले अंतिम स्वच्छता सर्वेक्षण से ही उम्मीद है। इसके साथ ही एक-दो दिन में गंगा किनारे स्थित शहरों के वार्डोंंमें स्वच्छता की स्थिति की रैंकिंग आने वाली है।

- गौरांग राठी, नगर आयुक्त।


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