इंडिया-ईरान के संबंधों की मिठास बढ़ाएगी आजमगढ़ की चीनी, 51,900 क्विंटल शुगर भेजने की तैयारी
इंडिया-ईरान के संबंधों में आजमगढ़ की चीनी और मिठास बढ़ाएगी। दी किसान सहकारी चीनी मिल सठियांव ने 51900 क्विंटल चीनी भेजने की तैयारी शुरू कर दी है।
आजमगढ़ [राकेश श्रीवास्तव]। इंडिया-ईरान के संबंधों में आजमगढ़ की चीनी और मिठास बढ़ाएगी। दी किसान सहकारी चीनी मिल सठियांव ने 51,900 क्विंटल चीनी भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। भारत सरकार के निर्देश पर निर्यात होने जा रही चीनी का सीधा लाभ पूर्वांचल के आधा दर्जन जिले के गन्ना किसानों को मिलेगा। सिर्फ आजमगढ़ के गन्ना किसानों के 62.32 करोड़ बकाए के भुगतान में अटका रोड़ा बजट के बंदोबस्त के साथ ही हट जाएगा। इससे गन्ना उत्पादन के प्रति किसानों में उत्सुकता भी बढ़ेगी।
पांच जिलों के किसानों की चमकेगी किस्मत
यूं तो दी किसान सहकारी चीनी मिल सठियांव आजमगढ़ में है, लेकिन कई जिलों के किसान इससे लाभांवित होते हैं। गन्ना विभाग के मुताबिक पूर्वांचल के चंदौली, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, मऊ के किसानों का गन्ना इसी चीनी मिल में पहुंचता है। आजमगढ़ की मिल से चीनी का विदेशों में निर्यात होना शुरू हुआ तो लाजिमी होगा कि प्रबंधन को गन्ने की जरूरत पड़ेगी। विदेशों से रुपये आएंगे तो किसानों को उनके गन्ना का सही समय पर भुगतान होगा। गन्ना किसानों के लिए फसल का भुगतान न होना ही सबसे बड़ी मुश्किल रही, जिसके दूर होने की संभावना उठ खड़ी हुई है।
बढ़ेगा कैश क्रॉप का रकबा
गन्ना को किसानों का कैश क्रॉप भी कहा जाता है। इसके उलट भुगतान में साल-दर-साल महाभारत होता देख पूर्वांचल के किसानों ने गन्ने की खेती से तौबा ही कर लिया था। मार्च 2016 में दी सहकारी चीनी मिल सठियांव का शुभारंभ हुआ तो किसान गन्ने की खेती करने को लालायित हुए। हालांकि गन्ने के भुगतान में होने वाली अकारण देरी से मोहभंग होने लगा था, लेकिन अबकी भुगतान के प्रति सरकार की तत्परता एवं भारत सरकार के निर्णय से किसान गन्ने की खेती को लेकर उत्साहित होंगे। अन्नदाताओं की आमदनी दोगुनी करने का सपना भी साकार होगा।
गन्ने की खेती एवं मिल पर एक नजर
-गन्ना किसान : 28660
-रकबा : 20351 हेक्टेयर
-पेराई : 45.10 लाख क्विंटल
-चीनी उत्पादन : 3,80,690 क्विंटल
-वर्तमान सत्र में भुगतान : 79.59 करोड़
चीनी यहां से मालगाड़ी द्वारा मुंबई और उसके बाद ईरान पहुंचाई जाएगी
51,900 क्विंटल चीनी देने की जिम्मेदारी हमारी है। भारत सरकार का आदेश मिलने के बाद हमने अपनी तैयारी पूर्ण कर ली है। संभवत: चीनी यहां से मालगाड़ी द्वारा मुंबई और उसके बाद ईरान पहुंचाई जाएगी।
-प्रताप नारायण, जनरल मैनेजर, दी किसान सहकारी चीनी मिल, सठियांव।