आयुर्वेद में कोष्ठ शुद्धि से इंसानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधियों की भरमार
आयुर्वेद में कोष्ठ शुद्धि से इंसानी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधियों की भरमार है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संक्रमण ने प्रतिरोधक क्षमता को लेकर लोगों में जागरूकता काफी बढ़ा दी है। हम खुद को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए तरह-तरह की औषधियों का सेवन कर रहे हैं, लेकिन इन औषधियों के इस्तेमाल से पहले यदि कोष्ठ (पेट) शुद्धि कर लें, तो यही औषधियां कई गुना तेजी से हमारी प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करने में जुट जाती हैं। आइएमएस-बीएचयू में आयुर्वेद संकाय स्थित काय चिकित्सा विभाग के चिकित्सक प्रो. जेएस त्रिपाठी बताते हैं कि शरीर में बहुत से टॉक्सिक व अपाच्य पदार्थ होते हैं, जिन्हें बाहर निकालना बेहद जरूरी होता है।
इसके शरीर से बाहर निकलने के बाद शरीर को ताकत देने वाली औषधियां कई गुना असरदार हो जाती हैं। इसके लिए सबसे बेहतर उपाय है पंचकर्म, लेकिन महामारी में यह संभव नहीं है इसलिए घर पर रहते हुए ही कम से कम कोष्ठ शुद्धि के बाद औषधियों का सेवन कर सकते हैं। कायचिकित्सा विभाग की शोध छात्रा ऋचा त्रिपाठी ने बताया है कि त्रिफला चूर्ण, गंधर्व हरीतिकी, अभयारिष्ठ, त्रिवृत लेह इत्यादि का सेवन करने से आसानी से कोष्ठ शुद्धि यानि कि पेट साफ हो जाता है।
दरअसल कई बार आंत में भोजन का ठीक से पाचन नहीं हो पाता, तो अपाच्य भोजन के कण एकत्र होते रहते हैं, उन्हें इन औषधियों की मदद से शरीर के बाहर निकाला जाता है। इस बीच बिल्कुल सुपाच्य भोजन ही ग्रहण करें। सामान्य तौर पर इन औषधियों का एक स्वस्थ व्यक्ति द्वारा तीन से सात दिनों तक सेवन करने से पेट का शोधन हो जाता है। ध्यान रहे, चिकित्सक से सलाह लेकर ही इन औषधियों की मात्रा और खुराक का सेवन करें।
उदर शोधन की खुराक
सारी औषधियां रात में सोते समय लें।
त्रिफला चूर्ण व गंधर्व हरीतिकी - तीन से पांच ग्राम या एक चम्मच।
अभयारिष्ठ सीरप - 10-15 एमएल समान मात्रा में पानी के साथ।
त्रिवृत लेह - 5-10 ग्राम या दो चम्मच।
(यह खुराक एक सामान्य व्यक्ति के लिए है, व्यक्ति की शरीरिक क्षमता अलग-अलग होती है इसलिए खुराक की यह मात्रा बदल भी सकती है।)