फेमिली प्लानिंग में वाराणसी में बनी जागरूकता, जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम आंकड़ों में हुआ सुधार
जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर सरकार परिवार नियोजन के साधनों को समुदाय के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में निरंतर प्रयास कर रही है। इसको लेकर समुदाय में पहुँच के साथ ही साथ जागरूकता भी बढ़ी है। इसके सुखद परिणाम जनपद में देखने को मिल रहे हैं।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर सरकार परिवार नियोजन के साधनों को समुदाय के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में निरंतर प्रयास कर रही है। इसको लेकर समुदाय में पहुँच के साथ ही साथ जागरूकता भी बढ़ी है। स्थायी (पुरुष व महिला नसबंदी) साधनों की तुलना में अस्थायी (आधुनिक) साधनों की पहुँच तेजी से बढ़ रही है। इसके सुखद परिणाम जनपद में देखने को मिल रहे हैं।
हाल ही में जारी हुये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे - एनएफ़एचएस-5 (2020-21) के अनुसार जनपद वाराणसी में गर्भ निरोधक इंजेक्शन (अंतरा), गर्भ निरोधक गोली (छाया, माला-एन, आपातकालीन पिल्स) के उपयोग में काफी बढ़ोतरी हुयी है। एनएफ़एचएस-4 (2015-16) के अनुसार गर्भ निरोधक इंजेक्शन को लेकर यह प्रतिशत 0.3 था, जबकि एनएफ़एचएस-5 में यह प्रतिशत 2.0 हो गया है। इसके साथ ही एनएफ़एचएस-4 में गर्भ निरोधक गोली की उपयोगिता को लेकर यह प्रतिशत 1% था, जबकि एनएफ़एचएस-5 में यह प्रतिशत 9.1 हो गया है। वहीं एनएफ़एचएस-4 में कंडोम की उपयोगिता का प्रतिशत 8.5 था जो एनएफ़एचएस-5 में बढ़ कर 23.7 हो गया है।
परिवार नियोजन के प्रति समुदाय में नव दंपत्ति, दंपत्ति आदि को उचित परामर्श देने के लिए आशा कार्यकर्ताओं, संगिनी, एएनएम, स्वास्थ्यकर्मी व सहयोगी संस्थाएं भी निरंतर प्रयासरत हैं। लाभार्थियों को परिवार नियोजन के प्रत्येक साधनों और उससे होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया जाता है जिससे वह उन सुविधाओं से वंचित न रह सकें। इसी के तहत एनएफ़एचएस-4 के अनुसार ‘परिवार नियोजन की अनमेट नीड’ के मामले में 16.4 फीसदी था। इसका तात्पर्य यह है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता जिले में 16.4 फीसदी लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पाये जबकि एनएफ़एचएस-5 में यह कम होकर 8.7 फीसदी हो गया है। इसका अर्थ यह है कि इन पाँच से छह सालों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, लाभार्थियों तक परिवार नियोजन की सेवाओं की पहुँच और जागरूकता बढ़ाने में सफल रहे हैं। इसके साथ ही अंतराल विधियों की सेवाओं को भी इच्छुक लाभार्थियों तक पहुंचाने में स्वास्थ्यकर्मी सफल रहे हैं। स्थायी साधनों की बात करें तो एनएफ़एचएस-4 में महिला नसबंदी की प्रतिशतता 30.7 थी जो एनएफ़एचएस-5 में यह कम होकर 23.9 फीसदी हो गयी है। एनएफ़एचएस-4 में पुरुष नसबंदी की प्रतिशतता 0.1 थी वहीं एनएफ़एचएस-5 में भी प्रतिशतता स्थिर (0.1%) है।
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डा. राजेश प्रसाद* ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे की ताजा रिपोर्ट में वाराणसी जनपद के परिवार नियोजन कार्यक्रम का आंकड़ा काफी सराहनीय है। समुदाय में अस्थायी साधनों (अंतरा, छाया, माला-एन) को लेकर जागरूकता बढ़ी है जिसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। आशा कार्यकर्ता, संगिनी, एएनएम लगातार परिवार नियोजन के स्थायी (खासकर पुरुष नसबंदी) व अस्थायी साधनों के उपयोग, लाभ आदि के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं जिससे वह उचित समय पर उचित साधनों का उपयोग कर जनसंख्या स्थिरीकरण में सरकार का सहयोग कर सकें।