वाराणसी में परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता, स्वास्थ्य विभाग ने आयोजित की कार्यशाला
नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (2020-21) एनएफ़एचएस-5 के अनुसार परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत किसी भी प्रकार के आधुनिक (अस्थायी) विधियों में वाराणसी जनपद की उपलब्धि 60.9 फीसदी है। जबकि एनएफ़एचएस-4 (2015-16) में आधुनिक विधियों में 42.6 प्रतिशत था।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत स्थायी व अस्थायी साधनों को लेकर समुदाय में पहुंच के साथ ही साथ जागरूकता भी बढ़ी है। इसका सुखद परिणाम जनपद में देखने को मिल रहा है। हाल ही में जारी हुये नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (2020-21) एनएफएचएस-5 के अनुसार परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत किसी भी प्रकार के आधुनिक (अस्थायी) विधियों में वाराणसी जनपद की उपलब्धि 60.9 फीसदी है। जबकि एनएफ़एचएस-4 (2015-16) में आधुनिक विधियों में 42.6 प्रतिशत था।
वहीं एनएफ़एचएस-5 के अनुसार ही परिवार नियोजन की किसी भी विधि (स्थायी व अस्थायी) में जनपद की उपलब्धि 72.5 फीसदी है जबकि एनएफ़एचएस-4 में 58.5 प्रतिशत था। यह चर्चा मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में ‘द चैलेंज इनिशिएटिव हेल्थ सिटीज इंडिया (टीसीआईसीएच) - पॉप्युलेशन सर्विस इंडिया (पीएसआई)’ के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में की गयी। यह कार्यशाला परिवार नियोजन कार्यक्रम की पांच वर्ष उपलब्धि और पीएसआइ की यात्रा पर केन्द्रित रही।
कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे वाराणसी मण्डल के अपर निदेशक (स्वास्थ्य) डा. शशिकांत उपाध्याय ने कहा कि इन पाँच वर्षों में स्वास्थ्य विभाग के समन्वय व आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से पीएसआई ने परिवार नियोजन के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया है, जिसका परिणाम भारत सरकार की एनएफ़एचएस-5 की रिपोर्ट में स्पष्ट देखने को मिल रहा है। उन्होने कहा कि परिवार नियोजन व जनसंख्या स्थिरीकरण को लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं को ग्रामीणों और शहरी क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे और बेहतर परिणाम देखने को मिलते रहें।
इस दौरान मौजूद पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वीबी सिंह ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं के प्रयास और टीसीआईसीएच – पीएसआई के सहयोग से परिवार नियोजन के क्षेत्र में अच्छा कार्य हुआ है। एनएफ़एचएस की आखिरी रिपोर्ट 2015-16 में प्रकाशित हुई थी, तब जनपद में परिवार नियोजन के क्षेत्र में जागरूकता और पहुँच की आवश्यकता थी। जिसको लेकर इन पांच सालों में बेहतर कार्य हुआ है।
प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राहुल सिंह ने कहा कि वर्ष 2017 से पीएसआई ने शहरी क्षेत्र में परिवार नियोजन के क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया था तब से सभी 24 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर परिवार नियोजन की सेवाओं में लगातार सुधार हुआ है। इसके साथ ही स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों के प्रयासों से स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर भी बढ़ा है। उन्होने कहा कि शहरी क्षेत्र में परिवार नियोजन की स्थायी व अस्थायी सेवाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया जाए। सीएमओ ने पीएसआई के साथ ही सभी चिकित्सा अधिकारियों व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सहयोग की सराहना की।
इसके साथ ही संयुक्त निदेशक डा. मनीषा सिंह, एसीएमओ डॉ. एके मौर्य, एसीएमओ डा. राजेश प्रसाद, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक संतोष सिंह ने भी जनपद में परिवार नियोजन की उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की। कार्यशाला का शुभारंभ पारंपरिक विधा से किया गया। इस अवसर पर शहरी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, मंडलीय नगरीय सलाहकार मयंक राय, नगरीय स्वास्थ्य समन्वयक आशीष सिंह, नगरीय समन्वयक इकाई, पीएसआइ से विवेक मालवीय, कृति पाठक, अखिलेश, सुनीता आदि लोग मौजूद रहे।