Atmanirbhar Bharat: लोकल से ग्लोबल की ओर आदिवासी महिलाओं का हुनर
Atmanirbhar Bharat एनआरएलएम के जिला प्रबंधक एमजी रवि ने बताया कि विभिन्न समूहों में 5000 आदिवासी महिलाएं 40 उत्पाद बनातीं हैं।
सुजीत शुक्ला, सोनभद्र। Atmanirbhar Bharat उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से आत्मनिर्भर बनते भारत की कहानी, जहां आदिवासी महिलाएं अब अपने उत्पादों को एप के जरिये सीधे महानगरों तक पहुंचा रही हैं। वहीं, लोकल स्टॉलों पर भी बिक्री कर रोजगार सृजित करने में सफल हो रही हैं। कहती हैं, एक समय था जब आदिवासियों के हुनर का कोई मूल्य नहीं था, लेकिन सरकार के प्रयासों की बदौलत अब आदिवासी भी अपने उत्पादों को सीधे दिल्ली भेजने लगे हैं...।
सोनभद्र जिला प्रशासन के सहयोग से इस हुनर को पहचान देने में आजीविका मिशन का सोन बाजार एप कारगर सिद्ध हो रहा है। कुछ ही दिनों पहले शुरू हुए इस एप पर सैकड़ों बुकिंग आ चुकी हैं। दिल्ली से भी परिधानों का ऑर्डर मिल रहा है। आगे चलकर इस एप पर गिलोय सहित अन्य वनौषधियां भी मिलेंगी। करीब पांच हजार आदिवासी महिलाएं जिले के विभिन्न इलाकों में अचार, मुरब्बा, पारंपरिक परिधान, बच्चों के परिधान, सोलर लैंप इत्यादि बनाती हैं। अब तक इनकी बिक्री जिले के ही बाजारों में स्टाल लगाकर की जाती थी, लेकिन बदलते समय के अनुसार राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने इन्हें बेहतर बाजार देने के लिए ऑनलाइन तरीका अपनाया है।
राबर्ट्सगंज नगर पालिका की दो दुकानों में आजीविका मिशन ने स्टोर बनाया और सोन बाजार एप के जरिए बुकिंग शुरू कर दी। महिलाओं के समूह उड़ान प्रेरणा संकुल को स्टोर संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही नगरीय क्षेत्र में वितरण के लिए तीन डिलेवरी मैन रखे गए हैं।
आजीविका मिशन से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि स्टोर से फिलहाल 40 उत्पाद की काउंटर संग ऑनलाइन बिक्री की जा रही है। इसमें उड़द, अरहर, चना की दाल, बेसन, आम, आंवला, कटहल का अचार, मुरब्बा, चिप्स, पापड़, लेडीज कुर्ती, टॉयलेट क्लीनर, मास्क इत्यादि शामिल हैं। उत्पादों की संख्या और बढ़ाई जाएगी। मधुमेह समेत अन्य बीमारियों को नियंत्रित करने में विजयशाल (पौधा) के गिलास का पानी काफी फायदा पहुंचाता है। हालांकि इसकी उपलब्धता कम होती है, अगर मिल भी जाए तो इससे गिलास नहीं बन पाती। भविष्य में मिशन के स्टोर से विजयशाल की गिलास और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली गिलोय भी ऑनलाइन मंगाना संभव होगा।
आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं: द्वारा बनाए गए उत्पाद को बुकिंग के तत्काल बाद उपलब्ध कराने की कवायद भी जारी है। उड़ान प्रेरणा संकुल (बिल्ली मारकुंडी) की अध्यक्ष रीता देवी कहती हैं कि अभी बुकिंग के हिसाब से आपूर्ति में थोड़ी दिक्कत है। धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाएगा। हमारी कोशिश है कि राबर्ट्सगंज नगर में अगर कोई पहली पाली में बुकिंग करे तो दूसरी पाली में हम उसके घर सामान पहुंचा दें। इसके अलावा जिले में कहीं भी 24 घंटे में सामान पहुंचाने की कोशिश है।
एनआरएलएम के जिला प्रबंधक एमजी रवि ने बताया कि विभिन्न समूहों में 5000 आदिवासी महिलाएं 40 उत्पाद बनातीं हैं। उनके हाथ के हुनर को ग्लोबल मार्केट देने के लिए सोन बाजार एप बनाया गया है। इसके जरिए बुकिंग और आपूर्ति हो रही है। हमारी कोशिश है कि इसमें सभी समूहों के कुछ न कुछ उत्पाद शामिल हों, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें।