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पंडित बिरजू महाराज की अस्थियां 22 जनवरी को गंगा में होंगी विसर्जित, वाराणसी में होगा अंतिम दर्शन

Pandit Birju Maharaj नृत्य कथक पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज की अस्थियां वाराणसी में 22 जनवरी को गंगा में विसर्जित की जाएंगी। जानकारी के अनुसार 21 के मध्य रात्रि में उनके परिजन बिरजू महाराज की अस्थियां लेकर बनारस आ जाएंगे। अंतिम दर्शन नटराज संगीत अकादमी में कराने का निश्चय किया गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 10:02 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 10:28 AM (IST)
पंडित बिरजू महाराज की अस्थियां 22 जनवरी को गंगा में होंगी विसर्जित

जागरण संवाददाता, वाराणसी : उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य कथक के शिखर पुरुष पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज की अस्थियां काशी में 22 जनवरी 2022 को गंगा में विसर्जित की जाएंगी। तय कार्यक्रम के अनुसार 21 जनवरी को मध्य रात्रि में उनके परिजन बिरजू महाराज की अस्थियां लेकर बनारस आ जाएंगे।

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अस्थि कलश अंतिम दर्शन के लिए सिगरा के कस्तूरबा नगर कालोनी स्थित नटराज संगीत अकादमी परिसर में रखा जाएगा। कलाकारों और प्रशंसकों द्वारा पुष्पांजलि के बाद अस्थि कलश खुले वाहन पर रखकर अस्सी घाट ले जाया जाएगा। अस्थि कलश यात्रा 22 जनवरी को सुबह 10 बजे आरंभ की जाएगी। अस्सी घाट पर वैदिक रीति से अस्थि कलश का पूजन किया जाएगा और फिर पं. बिरजू महाराज के परिवारीजनों द्वारा गंगा की मध्य धारा में विसर्जन किया जाएगा। अस्थि विसर्जन कार्यक्रम का संयोजन कर रहीं पं. बिरजू महाराज की शिष्या संगीता सिन्हा ने बताया कि हम सब पहले चाहते थे कि महाराजजी का अस्थि कलश कबीरचौरा मोहल्ले में रखा जाए, लेकिन उधर सड़क खोदाई होने के कारण दिक्कतों को देखते हुए अस्थि कलश का अंतिम दर्शन नटराज संगीत अकादमी में कराने का निश्चय किया गया। पंडित बिरजू महाराज की पुत्री ममता महाराज परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दिल्ली से लखनऊ के लिए सड़क मार्ग से रवाना चुकी हैं। अस्थि कलश 21 जनवरी को सुबह से लेकर शाम तक लखनऊ स्थित उनके पैतृक आवास में रखा जाएगा। इसे बिंदादीन महाराज की ड्योढ़ी के नाम से जाना जाता है। लखनऊ में पूरे दिन प्रशंसकों द्वारा अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी। सूर्यास्त के बाद परिजन अस्थि कलश लेकर काशी के लिए रवाना होंगे। इसे पं. बिरजू महाराज के बड़े पुत्र पं. जय किशन महाराज और शिष्या शाश्वती सेन लेकर आएंगे।


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