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जौनपुर में कोरोना संक्रमण काल में निडर होकर दूसरों को सुरक्षित करने में जुटीं आशा कार्यकर्ता

कोविड महामारी ने एक ओर जहां तबाही का मंजर बना दिया है वहीं दूसरी तरफ देश के कोरोना योद्धा जान जोखिम में डालकर लोगों को सुरक्षित करने में जुटे हैं। इसमें स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख कड़ी आशा भी निडर होकर लोगों का जान बचाने में दिन-रात लगी हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 24 Apr 2021 06:22 AM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 06:22 AM (IST)
जौनपुर में कोरोना संक्रमण काल में निडर होकर दूसरों को सुरक्षित करने में जुटीं आशा कार्यकर्ता
संक्रमण काल में निडर होकर दूसरों को सुरक्षित करने में जुटीं आशा कार्यकर्ता

जौनपुर, जेएनएन। कोविड महामारी ने एक ओर जहां तबाही का मंजर बना दिया है वहीं दूसरी तरफ देश के कोरोना योद्धा जान जोखिम में डालकर लोगों को सुरक्षित करने में जुटे हैं। इसमें स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख कड़ी आशा भी निडर होकर लोगों का जान बचाने में दिन-रात लगी हैं। चिलचिलाती धूप में घर-घर जाकर सैंपलिंग कराने में मदद करने के साथ ही पीड़ितों के उपचार, होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की निगरानी, टीकाकरण आदि में इनकी अहम भागीदारी दिख रही है। राष्ट्रहित में इनके जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है।

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बरसठी ब्लाक के बसहरा गांव की आशा कार्यकर्ता आरती देवी एक बार 70 लोगों की और एक बार 50 लोगों की सैंपलिंग करा चुकी हैं। इसमें से 10 लोग पाजिटिव मिले। एक मरीज को पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरसठी लाया गया। जहां से कोविड हास्पिटल में उपचार कराया गया। पाजिटिव लोगों तथा उनके संपर्क में आने वालों को होम क्वारंटाइन कराकर उन्होंने दवा की व्यवस्था भी कराई। फोन के माध्यम से उन्हें दवा लेने के लिए प्रेरित करती रहीं। इस गांव के लोग बड़ी संख्या में बाहर रहते हैं। उनके गांव पहुंचते ही ग्राम निगरानी समिति में उनका नाम दर्ज कराकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर उनकी कोविड जांच कराई। हालांकि इस दौरान उन्हें अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ा। एक व्यक्ति के पाजिटिव होने पर लोगों से होम क्वरंटाइन रहने तक उनसे थोड़ी दूरी बनाकर रहने के बारे में समझाने पर उन्हें जुबान संभालकर रहने की नसीहत मिली। प्रवासियों की भी ग्राम निगरानी समिति में नाम दर्ज करने पर भी नाराजगी झेलनी पड़ी।

इसी कड़ी में मछलीशहर ब्लाक के जमालपुर की आशा कार्यकर्ता वंदना ने भी अभी तक 35 लोगों की सैंपलिंग करा चुकी हैं। इसके अलावा लोगों को सीएचसी भेजकर जांच करवाया है। उन्होंने क्षेत्र में कोविड प्रोटोकाल का पालन करने के लिए जागरूकता के लिए बड़ा काम किया है। क्षेत्र में एक-एक परिवार से मिलकर बताया कि कोविड-19 का संक्रमण रोकने में सबसे बड़ा अस्त्र मास्क लगाना है। इसके अलावा एक-दूसरे से दो गज की दूरी बनाकर रहने तथा कुछ छूने के बाद साबुन-पानी से हाथ धुलने की आदत से कोविड-19 का संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है। इसका नतीजा है कि आज गांव में लोग संक्रमण से बचाव के प्रति जागरूक हैं। ज्यादातर लोग प्रोटोकाल का पालन करते हैं।

आशा सर्विलांस कोविड-19 के नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर एसके जायसवाल का कहना है कि कोविड प्रोटोकाल का पालन कराने से लेकर सैंपलिंग कराने और उनके उपचार की व्यवस्था कराने में क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता लगी हैं। उनकी कोशिशों के चलते आशा है कि जल्द ही सभी लोग कोविड प्रोटोकाल का पालन करने को आदत में शुमार कर लेंगे।


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